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इंटरनेट बैन होने के बाद 'मोबाइल लेस' जिंदगी को बनारसियों ने कुछ इस तरह किया इंज्‍वाय

सुरक्षा कारणों से काशी में दोपहर से इंटरनेट सेवाएं बंद करने के बाद लोग दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका स्मार्ट फोन सिर्फ बात करने के ही काम आया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 11:17 AM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 11:17 AM (IST)
इंटरनेट बैन होने के बाद 'मोबाइल लेस' जिंदगी को बनारसियों ने कुछ इस तरह किया इंज्‍वाय
इंटरनेट बैन होने के बाद 'मोबाइल लेस' जिंदगी को बनारसियों ने कुछ इस तरह किया इंज्‍वाय

वाराणसी, जेएनएन। सुरक्षा कारणों से काशी में दोपहर से इंटरनेट सेवाएं बंद करने के बाद लोग दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका स्मार्ट फोन सिर्फ बात करने के ही काम आया। वाटसएप, टिवटर, फेसबुक सरीखे सोशल मीडिया प्रोफाइल की जिंदगी से लोग बाहर निकले और पडोसियों से हालचाल लेकर शहर का जुबानी जायजा लिया। अमूमन सोशल मीडिया के जरिए  पड़ोसियों तक से जुड़े लोगों ने या तो फोन का सहारा लिया या सीधे उन्हीं के ठिकाने पर जाकर बातचीत की। मुद्दत से बातचीत के लिए एक- दूसरे से तकनीक का सहारा लेने वाले  मुखातिब होकर लंबे समय बाद हालचाल भी किया।

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फोन से नंबर भी डायल करने के लिए लोग जददोजहद करते नजर आए। काशी में अमूमन चाय की अडिय़ां सजी ही रहती हैं मगर इंटरनेट बंद होने  से लोगों का सामाजिक दायरा मोबाइल फोन से निकल कर अडिय़ों पर उमड़ा। लोगों ने शहर की गतिविधि का जुबानी जायजा भी लिया। दोपहर बारह बजे के बाद से ही एक- एक कर सभी निजी आपरेटरों की सेवाएं बंद होने लगीं तो देखते ही देखते सबके मोबाइल नेटवर्क तो रहे मगर इंटरनेट की गति थम गई। 

काशी में सख्ती की तस्वीर

वाराणसी में विभिन्न जगहों पर विरोध प्रदर्शन की सूचनाएं और अफवाहों पर विराम के लिए की गई प्रशासनिक कवायद पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त बनी रही। सोशल मीडिया से लेकर चटटी- चौराहों पर खाकी की धमक के आगे  अराजक स्थिति बनने की नौबत नहीं आई। कहीं भी लोगों का जमावड़ा हुआ तो प्रशासनिक सक्रियता के चलते  भीड़ छंट भी गई। तस्वीर, वीडियो और संदेशों का आदान-प्रदान पूरी तरह डिजिटल दुनिया से गायब रहने से लोग एक-दूसरे से बस शहर का हाल ही दोपहर बाद पूछते नजर आए।  

तमाम सेवाओं में बाधा

जीएसटी रिटर्न, बैंकिंग, बिजली बिल, रेलवे टिकट सरीखी ऑनलाइन सरकारी सेवाएं प्रभावित होने से लोगों को खासी दुश्वारी भी झेलनी पड़ी। वहीं ओला, स्विगी और जोमैटो आदि की सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त रहने से ऑनलाइन कारोबार पूरी तरह प्रभावित रहा। रेस्टोरेंट, होटल, ढाबों से ऑनलाइन भोजन आपूर्ति बंद रहने से कारोबारी और डिलीवरी मैन तक खाली बैठे रहे। ओला के ड्राइवर भी बुकिंग आने का इंतजार कर रहे थे। दुकानों पर ऑनलाइन लेनदेन प्रभावित होने से कैश काउंटर पर ग्राहकों को काफी परेशानी रही। एप से लेकर डिजिटल दुनिया के अन्य कारोबार भी पूरी तरह ठप रहे तो लोग मोबाइल में सिर्फ सिग्नल देखते रहे जबकि बीएसएनएल से लेकर सभी निजी टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के उपभोक्ता अपने मोबाइल पर नेटवर्क तलाशते नजर आए। रेलवे की ऑनलाइन सेवा मोबाइल पर न होने से यात्री अपनी ट्रेन खोजने के लिए दूसरे अन्य विकल्पों का सहारा ले रहे थे।

बोले जिलाधिकारी 

जनपद में इंटरनेट, वाइफाइ और ब्राडबैंड सर्विस शाम पांच बजे तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। जनपद की मोबाइल कंपनियों के बीटीएस को सिलसिलेवार बंद किया गया। अफवाह को रोकने और जनमानस की सुरक्षा के लिए व्यापक पुलिस बल को भी सड़कों पर उतारा गया है।

बड़े दिनों के बाद दिन हुआ खास

शुक्रवार को इंटरनेट बाधित होने से लोगों को समस्या हुई। सभी ने बिना नेट के अपने दिनचर्या को अव्यवस्थित सा महसूस किया। मगर कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस समय को खास बनाया। पुरानी यादें ताजा कीं, दोस्तों संग क्रिकेट खेला, परिवार संग मस्ती की। 

- जीएसटी रिटर्न भेजने की 20 दिसंबर को अंतिम तिथि थी। इंटरनेट बाधित होने से सारा काम ठप हो गया। पूरा दिन तनाव था कि कब इंटरनेट सेवा बहाल होगी। - जितेंद्र पटेल, डीएलडब्ल्यू

- इंटरनेट बाधित होने से दिनचर्या ही बिगड़ गई। टीवी देखा जिसमें शहर का हाल जानकर भय लग रहा था। दोस्तों से बहुत दिन बात मिलना हुआ। -अभिषेक सिंह, सिगरा

- हम लोग पूरे समय वाट्सएप पर लगे रहते हैं मगर जब इंटरनेट सेवा बंद हुई तो सब ठहर सा गया। बड़े दिन मैंने उपन्यास पढ़ा। - सुरेश केशरी, सिगरा

- लोगों को फुर्सत के समय में किताबें पढ़ते देखता। मेरे घर भी किताबें हैं लेकिन वो धूल खा रही थीं। कुछ किताबें पढ़कर अपना ज्ञानार्जन किया। - नवीन गुप्ता, सोनारपुरा

- मोबाइल पर चैटिंग करने के कारण नींद पूरी नहीं होती थी। बड़े दिन बाद आराम से सोया। - दीपमणि उपाध्याय, चौबेपुर

-मेेरे घर में सभी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। नेट बंद हुआ तो काफी समस्या हुई मगर हम सबने मिलकर खूब बातें की और दिन अच्छा बीता। - प्रीतम, सोनारपुरा

- इंटरनेट के कारण परिवारों में दूरी हो गई। मगर जब यह बंद हुआ तो पुराना दौर लौट आया। दोस्तों संग बड़े दिन बाद क्रिकेट मैच खेला। - दीपक मिश्रा, चोलापुर

- खेल, नृत्य और संगीत यह फुर्सत के पलों के साथी होते हैं। यह मैंने तब समझा जब नेट बंद हुआ। क्रि केट खेला फिर संगीत का आनंद लिया। - नवनीत सिंह, डीएलडब्ल्यू

- लंबे समय बाद पूरा मोहल्ला एक साथ इकट्ठा हुआ। इंटरनेट के कारण किसी को एक दूसरे से बात करने की फुर्सत नहीं मिलती थी। - गौरव जायसवाल, कबीरचौरा

- मैंने कभी नेट को अपने उपर हावी नहीं होने दिया। शायद यही वजह है कि इसके बंद होने पर मेरी दिनचर्या पर कोई असर नहीं हुआ। हां काम में थोड़ी बाधा हुई। -रजनीश राय, लंका

- शुक्रवार को जब नेट बंद हो गया तो मेरे कई परिचित घबरा गए। मैंने सभी को समझाया कि पहले नेट नहीं था तो क्या लोग ऐेेसे बेचैन होते थे। -संजय मिश्रा, भैरवनाथ

- बिना इंटरनेट के मैं तो परेशान हो गया। पूरा दिन समझ ही नहीं आया कि क्या करुं। मुझे तो सोते समय भी वाटसएप मैसेज ही नजर आते हैं। - खुरशीद, पांडेयपुर

- आनलाइन काम में बाधा आई मगर इस समस्या से पूरा शहर दोचार हुआ। मैंने छुट्टी का दिन मानकर घर के  अधूरे कामों को पूरा किया। - पम्मी सिंह, अर्दलीबाजार

- मेरे घर में सब मोबाइल में लगे रहते थे। शुक्रवार को घर की महिलाओं ने किचन में व्यंजन बनाए। सभी ने सहयोग किया एक तरह से पिकनिक हो गई। - शहनाज, शिवपुर

- नेट नशे की तरह लोगों के जीवन में घुल चुका है यह शुक्रवार को दिखा। मेरी कई सहेलियां परेशान थीं मगर मैं नहीं। पूरा दिन आराम से बीता। - पूजा सिंह, सिगरा

- जिस तरह शहर की स्थिति थी उसमें इंटरनेट बंद हो जाने से हम सूचनाओं से कट से गए थे। कहीं भी जाने से पहले सोचना पड़ रहा था। - जूली, भोजूबीर

- जब आनलाइन काम ठप हुआ तो परिवार में सभी लोगों ने अन्य कामों को निपटाया। सब घर जल्दी आए ऐसे में रात का खाना सबने साथ खाया। - ज्योत्सना, लंका

- शहर के  हालात ठीक नहीं थे। इंटरनेट भी बंद था तो घर पर टीवी देखा, आराम से सोई। एक पेंटिंग अधूरी थी उसे भी पूरा कर लिया। - श्वेता मेहरा, मलदहिया

- इंटरनेट बंद होने से कोई समस्या नहीं हुई क्योंकि मुझे इसकी लत नहीं है। बस जानकारी व जरूरत के लिए प्रयोग करती हूं।- चंदा शर्मा, दुर्गाकुंड

- मेरे घर में रात के डिनर के लिए विशेष डिश बनाया। बड़े दिन बाद अपने भाई-बहन के साथ ल्यूडो खेलने का आनंद आ गया। - दिव्या शुक्ला, गोदौलिया।


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