स्मार्ट फोन के प्रभावों पर विद्यापीठ करेगा रिसर्च, मनोविज्ञान विभाग की वृहद परियोजना को आइसीएसएसआर ने दी स्वीकृति
मनोविज्ञान के प्रस्ताव को इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस अनुसंधान (आइसीएसएसआर) ने स्वीकृति भी प्रदान कर दी है।
वाराणसी, जेएनएन। शिक्षक क्लास में पढ़ा रहे हैं। वहीं कुछ विद्यार्थी क्लास में ही बैठ कर अपने मोबाइल फोन से मेसेज चेक करने में बिजी है। शिक्षक की नजर पढ़ते ही वह मोबाइल फोन तत्काल बैग में रख लेते हैं। इसके बावजूद उनका मन लेक्चर पर नहीं फोन में ही अटका रहता है। इसे देखते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने स्मार्ट फोन से प्रभावों पर रिसर्च करने का निर्णय लिया है। मनोविज्ञान के प्रस्ताव को इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस अनुसंधान (आइसीएसएसआर) ने स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। यही नहीं वृहद परियोजना के लिए आइसीएसएसआर दस लाख रुपये का अनुदान भी मनोविज्ञान विभाग को दिया है।
स्मार्ट फोन के उपयोग, व्यसन, भावनात्मक, बुद्धिमता, अकेलापन सहित विभिन्न पहलुओं पर वृहद रिसर्च के लिए मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. रश्मि सिंह पिछले दिनों आइसीएसएसआर को एक प्रस्ताव भेजा था। आइसीएसएसआर ने इसकी स्वीकृति देने हुए जून 2021 तक शोध कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है। डा. रश्मि ने बताया कि वृहद परियोजना के तहम चार मेट्रेपालिटन सिटी व चार ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट फोन पर काम किए जाएंगे। प्रथम चरण में स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वाले एक हजार युवाओं को चिन्हित किया जाएगा। इन युवाओं पर दो साल तक अध्ययन किया जाएगा। इस दौरान युवाओं का मनोवैज्ञानिक परीक्षण के साथ कुछ प्रश्नों के सवाल भी पूछे जाएंगे। इसके लिए एक प्रश्नोत्तरी बनाया जा रहा है। एक माह के भीतर कार्य शुरू करने की योजना है। इसके माध्यम से युवाओं ने मोबाइल फोन की लत के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी। रिसर्च में स्मार्ट फोन से होने नुकसान व फायदे पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी ताकि समाज के संदेश दिया जा सके। कहा कि युवा तेजी से मोबाइल फोबिया के शिकार हो रहे हैं। उन्हें इससे बचाने के लिए यह रिसर्च उपयोगी साबित होगा।
फोन नहीं स्मार्ट सोच विकसित करने की जरूरत
तकनीकी के इस दौर में प्राय: हर व्यक्ति के पास स्मार्ट फोन है लेकिन इसका इस्तेमाल कैसे और कब किया जाय। यह सोच कम ही लोगों के पास है। हमें स्मार्ट फोन नहीं स्मार्ट सोच विकसित करने की जरूरत है ताकि तकनीकी का बेहतर उपयोग कर सके। फोन के बढ़ते दुरूपयोग को देखते हुए ही शासन विश्वविद्यालय व महाविद्यालय में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध किया है। हमें हर हाल में इस निर्देश का अनुपालन करना होगा। शैक्षिक परिसर में प्रवेश करते समय या तो हमें अपना मोबाइल फोन ऑफ कर लेना चाहिए। अथवा साइलेंट मोड कर लेना चाहिए ताकि हमारे फोन से किसी अन्य को कोई आपत्ति न हो सके।
जागरण अभियान के तहत श्आर्य महिला पीली कालेज में शनिवार 'स्मार्ट फोन' पर आयोजित कार्यशाला में शिक्षकों ने छात्राओं को मोबाइल होने से होने वाले नुकसान की जानकारी दी। शिक्षकों ने कहा कि ऑनलाइन के इस युग में इंटरनेट से नाता नहीं तोड़ा जा सकता है लेकिन इंटरनेट का उपयोग कितना करना है। यह समझ हमें विकसित करनी होगी। क्लास में हरहाल में फोन साइलेंट मोड रखे ताकि सुचारू रूप से पढ़ाई हो सके। कहा कि फेस बुक पर कुछ लोगों के 1000 दोस्त है लेकिन उनके बात करने वाला कोई नहीं है। कहा कि सोशल मीडिया पर नहीं समाज में सोशल बनें।
'' कालेज में छात्राओं को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह अपना फोन साइलेंट मोड में रखे। छात्राएं ही नहीं अध्यापिकाएं भी पढ़ाते समय अपना फोन साइलेंट मोड में रखती है। ऐसे में शासन के निर्देशों का कालेज में पहले ही अनुपालन हो रहा है। हालांकि इस पर अब और सख्ती की जाएगी।
-प्रो. रचना दुबे, प्राचार्य
'' हम लोग क्लास में जाने से पहले अपना फोन साइलेंट मोड में कर लेते हैं। यदि फोन हम नहीं साइलेंट मोड करेंगे तो छात्राओं को भी साइलेंट मोड फोन करने का निर्देश नहीं दे सकते हैं। क्लास में भूलवश यदि किसी छात्रा का फोन बज जाता है तो उसका फोन कुछ घंटों के लिए जब्त कर लिया जाता है।
-डा. ऋचा मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर
'' कोई भी नियम दूसरे पर थोपने के पहले हमें स्वयं अनुपालन करना होगा। महाविद्यालय के अध्यापक व अध्यापिकाएं पढ़ाते समय अपना फोन मोबाइल साइलेंट मोड में रखती है। इस लिए छात्राएं भी क्लास में अपने फोन का उपयोग नहीं करती है।
- दिव्या बाजपेई, शिक्षिका
'' मोबाइल फोन उपयोग बंद करना संभव नहीं है। इसका उपयोग कम किया जा सकता है। वैसे हम लोग घर जाने के बाद मोबाइल फोन रख देते हैं। वहीं क्लास में साइलेंट मोड फोन रहता है।
-प्रेक्षा मिश्रा, बीए तृतीय खंड
''तकनीकी के इस दौर में स्मार्ट फोन का उपयोग करना लोगों की मजबूरी हो गई है। सारे फार्म अब ऑनलाइन किए जा चुके हैं। पाठ्य सामग्री भी अब ऑनलाइन हैं। ऐसे में मोबाइल फोन प्रतिबंधित करना उचित नहीं है। परिसर में फोन को साइलेंट मोड रखने का आदेश का अनुपालन पहले से ही किया जा रहा है।
-सृष्टि श्रीवास्तव, बीए तृतीय खंड।