Move to Jagran APP

ठंड में थोडी सी चूक से बच्‍चो को सकता है जानलेवा निमोनिया, डायरिया

ठंड के मौसम में नवजात शिशु व बच्चों की देखभाल की बात करें तो इनके प्रति विशेष सतर्कता बरतनी पड़ती है। इसके बावजूद ये ठंड की चपेट में आकर विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैंं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 05:45 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 05:45 PM (IST)
ठंड में थोडी सी चूक से बच्‍चो को सकता है जानलेवा निमोनिया, डायरिया
ठंड में थोडी सी चूक से बच्‍चो को सकता है जानलेवा निमोनिया, डायरिया

बलिया, जेएनएन। ठंड के मौसम में वैसे तो स्वास्थ्य के प्रति सभी सचेत रहते हैं। मगर  नवजात शिशु व बच्चों की देखभाल की बात करें तो इनके प्रति विशेष सतर्कता बरतनी पड़ती है। इसके बावजूद ये ठंड की चपेट में आकर विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। यानी हमारे देखभाल में कहीं न कहीं से चूक अवश्य हो जाती है। ठंड के प्रकोप से किन-किन बीमारियों के गिरफ्त में आ सकते हैं नवजात शिशु व बच्चे, इनसे बचाव के लिए कैसे करेंगे इनकी देखभाल इस पर चिकित्सक का परामर्श सर्वोत्तम होगा। तो चलिए हम बात करते हैं जनपद के वरिष्ठ शिशु एवं बाल रोग वशेषज्ञ डा.अजीत सिंह से। 

loksabha election banner

डा.अजीत सिंह ने बताया कि ठंड में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसमें थोड़ी भी लापरवाही से शिशु ठंड की चपेट में आकर सर्दी, जुकाम, नाक बंद, कान बहना आदि बीमारियों के अलावा निमोनिया, कोल्ड डायरिया व जानलेवा हाइपोथर्मिया का शिकार हो सकता है। शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चों में अपने शरीर का तापमान नियंत्रित करने की क्षमता कम होती है। शिशु को ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए मोटे कपड़ों से ज्यादा जरूरी है कपड़े कई परर्तोंमें पहनाए जाएं क्यों कि परतों के बीच हवा की एक कुचालक परत शिशु के शरीर को गर्म रखने में ज्यादा मदद करती है। तीन से चार परत में पहनाए गए कपड़े शिशु को समुचित सुरक्षा प्रदान करते हैं। बहुत भारी कपड़े या मोटे चादरों में शिशु को लपेट कर रखना उचित नहीं है। नवजात शिशु के कमरे का तापमान 28-29 सेंटीग्रेट अनुकूल रहता है। इसे रूम थर्मामीटर की मदद से जांच सकते हैं। प्रतिदिन बच्चों को 20-30 मिनट गुनगुनी धूप में घुमाएं। इससे प्रतिरोधक क्षमता बढऩे में मदद मिलती है। सुलाते समय ध्यान रखें कि बच्चे का विस्तर पहले से गर्म हो। बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि नवजात शिशु को ठंड से बचाकर रखने का सबसे आसान तरीका है उसे अपने शरीर से चिपका कर रखें। नवजात शिशु विशेष रूप से प्रीमैच्योर बच्चों के लिए कंगारू मदर केयर वरदान सरीखा है। मां के शरीर के सीधे संपर्क में शिशु का तापमान संरक्षित रहता है व उसे मां से उष्मा मिलती है। बच्चों को रोजाना 10-15 मिनट तक मालिश अवश्य करें। इससे मांसपेशियों में रक्त का संचार बढ़ता है और जोड़ मजबूत होते हैं। मालिश व नहलाने में 15-20 मिनट का गैप जरूर रखें। तब तक बच्चों को ढककर रखें।

डायरिया में छह माह से कम बच्चे को भी दें ओआरएस घोल - स्तनपान शिशु के लिए सभी मायने में लाभप्रद होता है। उचित मात्रा में सही समय पर स्तन पान कराना आवश्यक है। छह माह तक शिशुओं को मां के दूध के अलावा कुछ भी देने की आवश्यकता नहीं होती है। ठंड में कोल्ड डायरिया का प्रकोप बढ़ जाता है। उल्टी और पतली दस्त से शिशु के शरीर का जरूरी पानी बाहर निकल जाता है और उससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। दस्त या उल्टी के प्रारंभ से ही शिशुओं को ओआरएस का घोल देने के साथ ही तत्काल अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। ओआरएस घोल छह माह से कम बच्चे जो केवल स्तनपान पर निर्भर हैं उन्हें भी दिया जाना चाहिए।

हीटर का ऐसे करें इस्तेमाल - हो सके तो बच्चों के आस-पास हीटर का इस्तेमाल न करें। अगर संभव हो तो आयल वाले हीटर का ही प्रयोग करें। ये कमरे में नमी को प्रभावित नहीं करते। हीटर कभी भी लागातार न चलाएं। एक और बात पर विशेष ध्यान दें, ब्लोअर या रूम हीटर से थोड़ी दूर पर एक गहरे बर्तन में पानी अवश्य रखें। इसकी भाप पूरे कमरे में नमी बनाए रखेगी।

ऐसे लक्षणों को न करें नजरअंदाज - अत्यधिक खांसी आना, दूध पीने में असमर्थता, चेहरे के आस-पास नीलापन, बच्चों की सांस तेज चलना अथवा पसली चलना, छाती में घड़घड़ाहट आदि होने पर लापरवाही न बरतें और तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें। शिशु का स्तनपान जारी रखें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.