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बैनामा के 61 साल बाद दाखिल-खारिज, डीएम ने कराई जांच तो सामने आया सच

1955 में जमीन का बैनामा, दाखिल खारिज हुई वर्ष 2016 में, कमाल का यह कारनामा किया है जालसाजों ने निबंधन विभाग के समानांतर फर्जी रजिस्ट्री पेपर तैयार कराकर।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 02:24 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 02:24 PM (IST)
बैनामा के 61 साल बाद दाखिल-खारिज, डीएम ने कराई जांच तो सामने आया सच
बैनामा के 61 साल बाद दाखिल-खारिज, डीएम ने कराई जांच तो सामने आया सच

वाराणसी [संग्राम सिंह] । 1955 में जमीन का बैनामा ... दाखिल खारिज हुई वर्ष 2016 में। कमाल का यह कारनामा किया है जालसाजों ने निबंधन विभाग के समानांतर फर्जी रजिस्ट्री पेपर तैयार कराकर। सिस्टम की आंख में धूल झोंक कर यह फर्जीवाड़ा करने का मामला खुलता भी नहीं, अगर डीएम के निर्देश पर निबंधन विभाग ने जांच न कराई होती। सौ 100 करोड़ रुपये कीमत के तीन भूखंडों के हाईप्रोफाइल मामले में कई जालसाज बेनकाब होने के संकेत मिले हैं। जिस अधिकारी ने दाखिल खारिज किया, उनसे भी जवाब तलब हुआ है। दरअसल, यह तीन मामले तो सिर्फ बानगी भर है ऐसे 12 से अधिक प्रकरण में निबंधन विभाग की जांच चल रही है। एक जमीन में दाखिल खारिज पर तहसीलदार ने गलती स्वीकारी और दस्तावेजों की जांच को पत्र लिखा।

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केस 1 : शिवपुर स्थित पवन यादव की 19 बिस्वा जमीन का 24 जनवरी 1967 में फर्जी बैनामा करा लिया गया। शिकायत पर निबंधन विभाग ने जांच की तो पूरा मामला फर्जी साबित हुआ। उप निबंधक सदन द्वितीय हरीश चतुर्वेदी ने जांच रिपोर्ट में लिखा कि इस नाम से कोई रजिस्ट्री नहीं हुई है। वर्ष 2016 में दाखिल खारिज भी हो गया। नायब तहसीलदार ने जालसाजी करने वालों से रिकार्ड तलब किए हैं।

केस 2 : गिलट बाजार में मुकेश यादव की छह बिस्वा जमीन है। इसका फर्जी बैनामा जनवरी 1955 में करा लिया गया, जमीन मालिक को पता ही नहीं चला। 61  साल बाद फरवरी 2016 में इस जमीन का नामांतरण भी हो गया। डीएम के आदेश पर निबंधन विभाग ने जांच की तो यह बैनामा भी जाली दस्तावेज के आधार पर होने का खुलासा हुआ। अब विभाग इस प्रकरण में मुकदमा दर्ज कराने जा रहा।

खुल सकता है बड़ा स्टांप घोटाला : निबंधन विभाग की जांच रिपोर्ट कह रही है कि बैनामे में इस्तेमाल किए गए स्टांप उनकी जानकारी में नहीं हैं। यदि दाखिल खारिज होने से पहले निबंधन विभाग से पत्रावली के संबंध में सवाल होते तो यह गड़बड़ी नहीं होती। जाहिर है फर्जी तरीके से यह स्टांप तैयार कहां किए गए। राजस्व विभाग ने भी उनकी जांच किए बिना ही दाखिल खारिज की प्रक्रिया पूर्ण क्यों की। 

बाेले अधिकारी : डीएम के निर्देश पर हुई जांच के बाद तीनों मामले फर्जी निकले हैं। रिपोर्ट सौंप दी गई है, ऐसे जालसाजों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी हुई है। ऐसे और भी मामले हो सकते हैं, जिनकी जांच प्रगति पर है। -हरीश चतुर्वेदी, उप निबंधक सदर द्वितीय।


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