Lockdown के दौरान संस्कृत विवि (पुरी) के पूर्व कुलपति की परलोक संवारने की कथा साझा करने का प्रयास
श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय (पुरी) के पूर्व कुलपति व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रो. गंगाधर पंडा भी इन दिनों बाहर नहीं निकल रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिहाज से श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय (पुरी) के पूर्व कुलपति व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रो. गंगाधर पंडा भी इन दिनों बाहर नहीं निकल रहे हैं। वह घर से ही बौद्धिक खजाने के रूप में सरस्वती भवन पुस्तकालय में उपलब्ध दुर्लभ पांडुलिपियों के संपादन में जुटे हैं। लॉकडाउन होने के कारण 'गरुड़ पुराणसारोद्धार:' नामक पांडुलिपियों के संपादन का कार्य में तेजी आ गई है। पचास फीसद से अधिक संपादन का कार्य कर चुके हैं। मई के प्रथम सप्ताह तक संपादन पूरा होने की उम्मीद है। इसमें परलोक संवारने की कथा विस्तार से दी गई है। इस पर लेखन, अध्ययन व अध्यापन में उनका दिन बीत रहा है। उनकी दिनचर्चा में कोई खास असर नहीं पड़ा है। भोर में पांच बजे उठने व स्नान, ध्यान का क्रम पहले की भाति जारी है। पहले की भांति पूजा-पाठ सुबह आठ बजे तक होता है। चाय, नाश्ता और समाचार पत्रों का अवलोकन करने के बाद सुबह नौ से दस बजे टीवी पर रामायण सीरियल देखते हैं। सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक ऑनलाइन रहते हैं। इस दौरान शोधार्थियों व शास्त्री-आचार्य के विद्यार्थियों का वाट्सएप और लैपटाप के माध्यम से मार्गदर्शन करते हैं। एक घंटा आराम करने के बाद दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे और शाम सात बजे से रात नौ बजे तक पांडुलिपियों के संपादन में समय बीतता है। वहीं शुभ चिंतकों के फोन आने-जाने का भी क्रम जारी रहता है। फोन से ही लोगों का हालचाल पूछना और लोगों को घर में ही रहने की अपील करना भी उनकी दिनचर्या में शामिल है। रात दस बजे तक सो जाते हैं। इस समय पूरी तरह परिवार में उनका समय बीत रहा है।