छेड़खानी के दागी प्रो. चौबे मामले में महिला आयोग ने बीएचयू प्रशासन से तलब की रिपोर्ट
बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग में छेड़खानी के दागी प्रोफेसर एसके चौबे के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने विश्वविद्यालय प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर ली है।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग में छेड़खानी के दागी प्रोफेसर एसके चौबे के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने विश्वविद्यालय प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर ली है। विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति से रिपोर्ट मांगने के साथ ही पूछा है कि कार्रवाई के तहत क्या किया गया।
बीएचयू के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर को लिखे पत्र में आयोग ने कहा कि इस घटना से छात्र-छात्राओं में आक्रोश है। ऐसे में आयोग को आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट देने के साथ ही की गई कार्रवाई से विस्तृत तौर पर अवगत कराया जाए।
यह था प्रकरण
अक्टूबर 2018 में बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग का शैक्षणिक टूर नंदनकानन के जूलॉजिकल पार्क गया था। वहां से छात्र-छात्राओं का दल कोणार्क सूर्य मंदिर भी गया था। आरोप है कि उस दौरान साथ गए प्रो. एसके चौबे ने छात्राओं के छेड़खानी की थी। मूर्तियों के बारे में बताते हुए अश्लील टिप्पणी भी की थी। टूर से लौटने पर छात्राओं ने इसकी शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की। ४० दिनों तक मामले की जांच हुई और छात्र-छात्राओं से पूछताछ हुई। आंतरिक कार्रवाई के तौर पर प्रो. चौबे को निलंबित भी किया गया जिन्हें जून २०१९ में बहाल भी कर दिया गया। जांच में मामला सही पाए जाने के बावजूद किसी बड़ी कार्रवाई के न होने से आक्रोशित छात्र-छात्राओं ने शनिवार की शाम से आंदोलन शुरू कर दिया था, बाद में मांगें माने जाने पर रविवार की रात प्रदर्शन खत्म किया गया। अब कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने इस मामले को पुन: कार्यकारिणी परिषद में विचार के लिए रखने का निर्णय लिया है। साथ ही प्रो. चौबे को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया।
सोशल मीडिया में छाया सफल आंदोलन
अरसे बाद बीएचयू में किसी आंदोलन के तत्काल बाद कार्रवाई भी हुई है। इससे पहले कई छोटी-बड़ी घटनाओं में जांच कमेटी का गठन कर इतिश्री कर ली जाती रही। कमेटी की जांच इतनी लंबी चलती थी कि मामले की लीपापोती करने में आसानी होती रही। सोशल मीडिया में बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग की छात्राओं के ताजा आंदोलन और परिणाम स्वरूप दागी प्रोफेसर को तत्काल लंबी छुट्टी पर भेजे जाने का मामला छाया है। कोई इसे छात्र आंदोलन की सफलता बता रहे हैं तो कोई विभागीय राजनीति करार दे रहा है।