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काला चावल की प्रोसेसिंग : ब्रांडिंग व मार्केटिंग में दक्ष बनेंगे चंदौली के किसान, 500 हेक्टेयर में होती है खेती

चंदौली के किसान काला चावल की प्रोसेसिंग ब्रांडिंग व मार्केटिंग में दक्ष बनेंगे। काला चावल को एक जनपद एक उत्पाद के रूप में शामिल किया गया है। उद्यम प्रोत्साहन केंद्र की ओर से काला चावल की उन्नत खेती व इसे बेचकर अच्छी कमाई के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 08:10 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 08:10 PM (IST)
काला चावल की प्रोसेसिंग : ब्रांडिंग व मार्केटिंग में दक्ष बनेंगे चंदौली के किसान, 500 हेक्टेयर में होती है खेती
चंदौली के किसान काला चावल की प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग व मार्केटिंग में दक्ष बनेंगे।

चंदौली, जेएनएन। जिले के किसान काला चावल की प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग व मार्केटिंग में दक्ष बनेंगे। काला चावल को एक जनपद एक उत्पाद के रूप में शामिल किया गया है। उद्यम प्रोत्साहन केंद्र की ओर से काला चावल की उन्नत खेती व इसे बेचकर अच्छी कमाई के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। विशेष अभियान का लाभ लेने के लिए काश्तकारों को यूपीएसडीसी की वेबसाइट पर आनलाइन आवेदन करना होगा।

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कृषि प्रधान जनपद में किसान 2019 से नागालैंड की धान की ‘चाकहाओ’ प्रजाति की खेती कर रहे हैं। पिछले खरीफ सत्र में एक हजार किसानों ने 500 हेक्टेयर में खेती की थी। 2020 में किसानों का धान 82 रुपये किलो की दर से बिका। निजी कंपनी ने किसानों से खरीदकर आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड निर्यात किया था। हालांकि इस बार कोरोना के चलते जिले के विशेष उत्पाद के लिए खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इससे किसान मायूस हैं। उद्यम प्रोत्साहन केंद्र ने किसानों की समस्या को हल कराने के लिए पहल की है। किसानों को विभाग की वेबसाइट पर आनलाइन आवेदन करना होगा। चयनित किसानों को कृषि उत्पाद बनाने वाली नामी कंपनियों के प्रतिनिधि उत्पाद की ब्रांडिंग और बिक्री का गुर सिखाएंगे। कोशिश की जा रही है कि किसान अपनी उपज को माल, होटल व बड़े शापिंग कांप्लेक्स में खुद बेच सकें। इसके लिए उन्हें प्रशासनिक सहयोग अथवा किसी बिचौलिए की मदद न लेनी पड़े।

गुणों से भरपूर है काला चावल

एंथ्रोसाइनिन की वजह से चावल का रंग काला है। फाइबर, विटामिन ई, जिंक और आयरन की भरपूर मात्रा है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही कैंसर व मधुमेह की बीमारी से निजात दिलाने में भी कारगर है। इंडियन राइस रिसर्च इंस्टीच्यूट हैदराबाद, फूड टेक्नॉलाजी प्रयागराज और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीच्यूट बीएचयू ने चावल की गुणवत्ता की पुष्टि की है। इसकी वजह से जिले के विशेष कृषि उत्पाद के रूप में कलेक्टिव मार्क भी मिल चुका है।

जरी उत्पाद से जुड़े उद्यमी व कारीगर होंगे प्रशिक्षित

विभाग की ओर से काला चावल के साथ ही जरी-जरदोजी उद्यम से जुड़े उद्यमियों व कामगारों को भी प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जाएगा। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने वाले लाभार्थियों को टूल किट का भी वितरण होगा।

चयनित किसानों को काला चावल की खेती, ब्राडिंग व मार्केटिंग की बारीकियां सिखाई जाएंगी

काला चावल की खेती करने वाले किसान वेबसाइट डीआइयूपीएमएसएमई डाट यूपीएसडीसी डाट जीओवी डाट इन पर आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। चयनित किसानों को काला चावल की खेती, ब्राडिंग व मार्केटिंग की बारीकियां सिखाई जाएंगी।

गौरव मिश्रा, उपायुक्त, उद्योग


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