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बिजली के बिल में 'सेटिंग' का खेल अब नहीं, मैन्युअल रीडिंग की जगह ग्रामीण क्षेत्रों में भी करनी होगी प्रो-बिलिंग

बिजली बिल में अब सेटिंग नहीं होगी। चाहे उपभोक्ता हो या फिर मीटर रीडर। कारण कि बिजली विभाग मीटर रीडिंग के जरिए सभी तरह की धांधली पर रोक लगाने की दिशा में बढ़ रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 01:23 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 01:23 PM (IST)
बिजली के बिल में 'सेटिंग' का खेल अब नहीं, मैन्युअल रीडिंग की जगह ग्रामीण क्षेत्रों में भी करनी होगी प्रो-बिलिंग
बिजली के बिल में 'सेटिंग' का खेल अब नहीं, मैन्युअल रीडिंग की जगह ग्रामीण क्षेत्रों में भी करनी होगी प्रो-बिलिंग

वाराणसी, जेएनएन। बिजली बिल में अब 'सेटिंग' नहीं होगी। चाहे उपभोक्ता हो या फिर मीटर रीडर। कारण कि बिजली विभाग मीटर रीडिंग के जरिए सभी तरह की धांधली पर रोक लगाने की दिशा में बढ़ रहा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने 21 जिलों में कार्यरत दो कंपनियों को लक्ष्य दिया है कि अक्टूबर माह में 'प्रो बिलिंग सिस्टम' से बिलिंग की जाए। इससे अब मीटर रीडर मनचाहा रीडिंग लेकर उपभोक्ताओं को सहूलियत नहीं दे पाएगा।

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पहले बिजली विभाग उत्पादन कंपनियों से बिजली लेकर बाद में पैसा देती थी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। उत्पादन कंपनियां पहले पैसा लेती और बाद में बिजली देती है। ऐसे में विभाग के सामने में बड़ा संकट आ गया है। कारण कि कुछ उपभोक्ताओं पर बकाया और कुछ लोग चोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालांकि बिना विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से यह संभव नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए निगम ने पेच कसना शुरू कर दिया है। अक्टूबर के लिए लक्ष्य निर्धारित पूर्वांचल में दो कपंनियां एन साफ्ट व  बीसीआइटीएस रीडिंग लेने व बिल बांटने का कार्य कर रही है। निगम के निदेशक (वाणिज्य) ओपी दीक्षित ने बताया कि निर्देश के बाद भी पिछले माह की प्रो-बिलिंग दो हजार से ही कर पाई थी, लेकिन निगम पर सख्त हो गया है। निर्देश दिया गया है कि दोनों कंपनियां अक्टूबर का बिल हर हाल में दो-दो लाख प्रो-बिलिंग निकालें। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई भी हो सकती है। अन्य अनियमितता को लेकर इन कंपनियों पर 3.05 करोड़ का जुर्माना भी लग चुका है। 

क्या है प्रो-बिलिंग 

प्रो-बिलिंग के तहत वह उपभोक्ता के मीटर के पास ब्लू टूथ या कोड से बटन दबाएगा। इसके बाद वास्तविक बिल निकल आएगा, जो पूरी तरह निगम के सिस्टम से संबद्ध है। यानी आप जितनी बिजली की खपत किए हैं उतनी राशि चुकानी ही पड़ेगी। वैसे शहर में स्मार्ट मीटर लगने के बाद यह समस्या काफी हद तक समाप्त हो चुकी है। 


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