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उम्मीद नहीं थी कि रक्षाबंधन पर मुकदमे का उपहार मिलेगा, बोलीं काशी नरेश की बेटी

संपत्ति को लेकर चल रहा राजपरिवार का विवाद अब सार्वजनिक हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 08:40 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 08:40 AM (IST)
उम्मीद नहीं थी कि रक्षाबंधन पर मुकदमे का उपहार मिलेगा, बोलीं काशी नरेश की बेटी
उम्मीद नहीं थी कि रक्षाबंधन पर मुकदमे का उपहार मिलेगा, बोलीं काशी नरेश की बेटी

वाराणसी : संपत्ति को लेकर चल रहा राजपरिवार का विवाद अब सार्वजनिक हो गया है। पूर्व काशी नरेश डा. विभूति नारायण की पुत्री हरीप्रिया ने अपने परिवार की शादी में राजचिह्न का उपयोग किया था। राजचिह्न के उपयोग से खफा उनके भाई कुंवर अनंत नारायण सिंह ने एडीजी जोन से शिकायत दर्ज कराई जिसपर रामनगर थाने में हरीप्रिया के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा कायम हुआ है।

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मुकदमे दर्ज होने के बाद शुक्रवार को बहन का बचाव करने कृष्णप्रिया मीडिया के सामने आई। उन्होंने कुंवर अनंत नारायण सिंह की ओर से दर्ज कराए मुकदमे पर कहा कि वह लोग पिताजी के समय से किले में रह रहे हैं। जब तक पिताजी जिंदा थे, कभी कोई विवाद नहीं हुआ लेकिन उनके गोलोकवासी होते ही भाई चापलूसों से घिर गए। संपत्ति को लेकर कोई केस नहीं किया, बावजूद भाई विवाद करते हैं, वह क्यों नाराज हैं आज तक रहस्य बना हुआ है।

कुंवर किले में रहते हैं तो यहीं का अधिकार है, विवाद समझ में आज तक रहस्य बना है। संपत्ति को लेकर कभी कोई केस नहीं किया। पिता ने हमे किले में रखा। हमने ही सेवा की। रक्षाबंधन का उपहार दिया है, सैकड़ों बार कोशिश की लेकिन हर कोई बात नहीं करते हैं। बात करने के लिए चमचे, चापलूसों को बुलाया जाता है। शादी हमारी बहन की बेटी थी। निमंत्रण अपने भाई को देने गई थीं। शादी यहीं पर थी। रामनगर में मुकदमा लिखवाया गया है। हम भी जवाब देंगे। पूरी शादी में भाई के लिए रोती रही। राजकीय चिह्न को कारोबार का रूप दे दिया गया। प्रतिष्ठा के सूचक चिह्न को व्यापारिक बना दिया है। परंपरा रही है। हरीप्रिया की पुत्री की शादी में भी छपा था राजकीय चिह्न। जब तक पिताजी महाराज थे कोई विवाद नहीं था। जो मेरा अधिकार है उसे क्या मांगना। दो कार्ड इसके पहले छपा लेकिन कोई विवाद नहीं, तीसरे कार्ड पर ही क्यों जताई आपत्ति।


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