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गायत्री प्रजापति प्रकरण में सुबूतों की बजाय आरोपितों के शपथपत्र को दी गई तरजीह

कारोबारी को जेल से धमकी मामले की विवेचना में पूर्व मंत्री को बचाने वाले इंस्पेक्टर बालकृष्ण शुक्ल ने सुबूतों की बजाय आरोपितों के शपथपत्र को तरजीह दी थी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 08:15 AM (IST)
गायत्री प्रजापति प्रकरण में सुबूतों की बजाय आरोपितों के शपथपत्र को दी गई तरजीह
गायत्री प्रजापति प्रकरण में सुबूतों की बजाय आरोपितों के शपथपत्र को दी गई तरजीह

वाराणसी, जेएनएन । कारोबारी को जेल से धमकी मामले की विवेचना में दागी पूर्व मंत्री को बचाने वाले निलंबित इंस्पेक्टर बालकृष्ण शुक्ल ने सुबूतों की बजाय आरोपितों के शपथपत्र को तरजीह दी थी। 'जागरण संवाददाता' से बातचीत में भी इंस्पेक्टर ने खुलकर कहा था कि गिरफ्तार मान सिंह रावत ने तो कोर्ट में शपथपत्र देकर कहा है कि उसे पुलिस ने फर्जी फंसाया और जबरन बयान दर्ज किया है।

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फर्नीचर व्यापारी अरविंद तिवारी को नौ जून की सुबह लखनऊ की जेल से फोन पर कमीशन के लिए धमकी देने के मामले में दशाश्वमेध थाने के पूर्व विवेचक मनोज पांडेय ने गायत्री प्रजापति के करीबियों मान सिंह रावत और अभिषेक तिवारी को गिरफतार किया था। दोनों को बनारस जिला जेल भेजा गया था जहां से पहले अभिषेक फिर मान सिंह को जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

धमकाने के नामजद आरोपी गायत्री का मुकदमे से नाम हटाने के सवाल पर  इंस्पेक्टर (अब निलंबित) बालकृष्ण ने दावा किया था कि कोई सुबूत ही नहीं है तो नाम कैसे रहता चार्जशीट में। मान सिंह रावत के बयान और सिमकार्ड बरामदगी के आधार पर पूर्व विवेचक ने कहा कि जेल से गायत्री प्रजापति ने फोन किया, मगर रावत ने तो कोर्ट में शपथपत्र दिया है कि उसने कोई सिम नहीं दिया, उसका बयान पुलिस ने मनगढ़ंत लिखा है।

इसी तरह इंस्पेक्टर ने आरोपी गायत्री की पत्नी द्वारा पुलिस अधिकारियों को पति की बेगुनाही के बारे में दिए प्रार्थनापत्र को भी अपनी विवेचना में खासी अहमियत दी और आखिरकार नामजद गायत्री को क्लीन चिट दे दी। अब आइपीएस एसपी ग्रामीण अमित कुमार पर विवेचना में किए गए इस खेल को उजागर करने का जिम्मा है। उधर, एसपी ग्रामीण ने बताया कि अभी उन्हें जांच का आदेश नहीं मिला है। आदेश मिलते ही जांच शुरू कर देंगे।

कप्तान का निर्देश निष्पक्ष हो विवेचना : एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने सोमवार को एसपी क्राइम ज्ञानेंद्र नाथ को बुलाकर निर्देश दिया कि अब इस मुकदमे की जांच में किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। वह अपनी निगरानी में क्राइम ब्रांच से सुबूत जुटाने और निष्पक्ष विवेचना कराना सुनिश्चित करें। एसपी क्राइम ने  बताया कि केस की विवेचना के लिए किसी इंस्पेक्टर को नामित करेंगे। पहले भी क्राइम ब्रांच ने ही विवेचना के लिए धमकी में इस्तेमाल सिमकार्ड और फोन के सर्विलांस साथ ही कॉल डिटेल मुहैया कराए थे।

आला अधिकारी का नाम उछला, सरकार भी रख रही नजर  : पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को क्लीनचिट देने के मामले में वाराणसी रेंज के एक आला पुलिस अधिकारी का नाम सामने आने पर सोमवार को पुलिस महकमे में दिनभर चर्चाओं का बाजार गरम रहा। पिछली सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति से जुड़ा मामला होने के कारण प्रदेश सरकार पूरे मामले पर नजर रखे हैं। खुफिया तंत्र से भी पूरे प्रकरण की रिपोर्ट मांगी गई है। गायत्री को क्लीनचिट देने के मामले में जिन अधिकारियों की संलिप्तता सामने आएगी, उनपर गाज गिरनी तय है। 

बोले अधिकारी : एडीजी पीवी रामाशास्त्री ने आला अधिकारी का नाम सामने आने पर कहा कि मुझे नहीं लगता कि गायत्री का नाम निकालने के लिए इंस्पेक्टर पर दबाव बनाया होगा। एडीजी से लेकर एसएसपी तक कोई प्रार्थनापत्र मिलने पर निष्पक्ष जांच और कार्रवाई के निर्देश देते हैं। एसएसपी ने आइपीएस (एसपी ग्रामीण) को जांच सौंपी है। मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा विभागीय कार्रवाई होगी।


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