Move to Jagran APP

प्रवासी भारतीय दिवस : नटराज की आराधना से आतिथ्योत्सव का काशी में रंगारंग आगाज

भारतीय मूल के प्रवासियों की होने वाली जुटान को लेकर उत्साहित-आह्लादित काशीवासियों ने अपनी आतिथ्य परंपरा निभाने के संकल्पों के साथ 100 दिनी उत्सव का शंखनाद कर दिया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 11:56 AM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 11:56 AM (IST)
प्रवासी भारतीय दिवस : नटराज की आराधना से आतिथ्योत्सव का काशी में रंगारंग आगाज
प्रवासी भारतीय दिवस : नटराज की आराधना से आतिथ्योत्सव का काशी में रंगारंग आगाज

वाराणसी [प्रमोद यादव] । दुनिया भर से भारतीय मूल के प्रवासियों की होने वाली जुटान को लेकर उत्साहित-आह्लादित काशीवासियों ने अपनी आतिथ्य परंपरा निभाने के संकल्पों के साथ शनिवार को 100 दिनी उत्सव का शंखनाद कर दिया। अगले साल 21 से 23 जनवरी के बीच जब सात समंदर पार से अपने, अपनों के बीच आएंगे तब तक 100 उत्सवों की भरी पूरी श्रंखला के साथ एक-एक दिन गिनते हुए हम पलक-पांवड़े बिछाएंगे। देवाधिदेव महादेव की नगरी में इस काउंट डाउन का गंगा के अस्सी तट पर नटराज की आराधना से इसका श्रीगणेश किया गया। कला- संस्कृति की रंग-बिरंगी मनमोहक प्रस्तुतियों के बीच कलाकारों ने सर्वमंगल की कामना से काशीपुराधिपति का आह्वान किया। युवा जोड़ी रूद्रशंकर व स्नेहा बजाज ने 'डिमिक डिमिक डमरू बाजे...' पर कथक के भाव सजाए।

loksabha election banner

परंपरागत प्रस्तुतियों के साथ घोड़े की टाप व घुंघरू-तबले की जुगलबंदी कर प्रयोगधर्मिता के साथ अपनी मेधा दिखाई। गुरु पं. माता प्रसाद ने बोल पढ़ंत के साथ ही उत्साह वद्र्धन किया। ख्यात उपशास्त्रीय गायिका डा. सुचरिता गुप्ता ने राग पीलू की ठुमरी में 'भवरा रे हम परदेशी लोग...' और दादरा 'नैना लागे सांवरिया...' से परदेशियों से जुड़ी भावना को अभिव्यक्ति दी। धोबिया ठेका में बनारसी गीत 'बैरन कोयलिया तोरी बोलिया न सुनाए...' से मंत्र मुग्ध कर दिया। राधाकिशोरी राजकीय बालिका इंटर कालेज रामनगर की छात्राओं ने भारतीय संस्कृति में घुली अनेकता में एकता के रंग को सहेजा और दिखाया। विविध प्रांतीय वेशभूषा और संस्कृतियों को 'चिट्ठी आई है...', 'पधारो म्हारो देश...', 'ये भारत देश है मेरा...' आदि गीतों के साथ ही राष्ट्र भक्ति के भावों से भर दिया। 

भारतीय संस्कृति को आत्मसात किए स्विटजरलैंड की फेनी यानी मीरा ने कथक तो प्रस्तुत किया ही अपने आचार-व्यवहार से भी विभोर किया। शारदीय नवरात्र का ख्याल रखते हुए देवी स्तुति से श्रीगणेश किया। पारंपरिक कथक, तीन ताल दादरा में राधा-कृष्ण की छेड़छाड़, बनारसी अंदाज-मिजाज में पगी लखनवी बंदिश और अपने पसंदीदाद कंपोजिशन उड़ान की तोड़ी कंपोजिशन प्रस्तुत किया। भाव नृत्य 'ए सखी मैं कासे कहूं कान्हा की चतुराई ...' से मंत्र मुग्ध किया। हारमोनियम व गायन में गौरव मिश्र ने साथ दिया। इसके अलावा नागार्जुन क्लासिकल बैंड ने ख्यात वायलिन वादक पं. सुखदेव मिश्र के नेतृत्व में तांडव बेस्ड राग जोग का रंग बिखेरा। इसमें तबले पर पं. अशोक पांडेय, बांसुरी पर शनिश कुमार, आस्टे्रलियन बांसुरी डिजरी डू पर राबरीगो, की बोर्ड पर हेमंत सिंह और ड्रम पर कौशल कृष्ण -नवीन चंद्र बादल ने समा बांधते हुए झूमने पर विवश कर दिया। पं. अशोक पांडेय ने तबले पर सीताराम..., घोड़ो की टाप... समेत अपनी चिर परिचित कलाबाजी से चकित किया। 

 

शंखनाद से गूंजा गंगा का किनारा 

प्रवासी भारतीय दिवस से पहले सौ दिनी उत्सवी शृंखला का आरंभ रामजनम योगी के नेतृत्व में बटुकों व पाणिनि कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने शंखनाद से किया। पताका के रूप में सभी देशों के झंडे सजे तो आतिशबाजी व आकाशदीप छोड़ कर समापन किया गया। इससे पहले बतौर मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश सह प्रभारी सुनील ओझा ने कहा कि बनारस को उसकी आतिथ्य परंपरा की याद दिलाई तो प्रधानमंत्री के संकल्पों का भी स्मरण कराया। कहा प्रवासी भारतीय दिवस तो कई प्रांतों में आयोजित किए गए लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में 15वां आयोजन यादगार होना ही चाहिए। उससे पहले सौ कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिसमें मशाल यात्रा, साइकिल यात्रा, नौकायन आदि होंगे। स्वागत करते हुए मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने प्रवासी भारतीय दिवस को काशी की बड़ी जिम्मेदारी करार दिया। कहा पीएम की सोच है कि यह कार्यक्रम सरकारी न हो कर काशीवासियों का आयोजन बने। महापौर मृदुला जायसवाल, सीडीओ गौरांग राठी, सिटी मजिस्ट्रेट सुनील वर्मा, पं. राजेश्वर आचार्य, डा. सोमा घोष समेत विशिष्ट जन थे। संयुक्त निदेशक पर्यटन अविनाश चंद्र मिश्र, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. सुभाष चंद्र यादव, डा. रत्नेश वर्मा व उनकी टीम ने संयोजन में सहयोग किया। संचालन तृषा व शशांक ने किया।

 

विश्वा डाल्फिन शुभंकर, भावों में पगा थीम सांग 

प्रवासी भारतीय दिवस के शुभंकर के रूप में विश्वा डाल्फिन प्रतिकृति का अनावरण किया गया। मोनोग्राम जारी करने के साथ ही काउंट डाउन क्लाक और वेबसाइट (पीबीडीवाराणसी.काम) का शुभारंभ किया गया। इसके अलावा प्रणव सिंह ने पूरे अंदाज में प्रवासी भारतीय दिवस का थीम सांग 'तुझे तेरा देश बुलाए रे...' प्रस्तुत किया।स्मृति चिह्न कराएंगे समृद्ध बौद्धिक संपदा का अहसास  

खास आयोजन के मौके पर काशी क्षेत्र की बौद्धिक संपदा का भी प्रवासी भारतीय अहसास पाएंगे। इसके लिए उन्हें ऐसे ही स्मृति चिह्न दिए जाएंगे। दिवस विशेष का मोनोग्राम सहेजे जीआइ उत्पादों के स्मृति चिह्नों का मंडलायुक्त ने प्रदर्शन किया। बनारस, भदोही, गाजीपुर, मीरजापुर समेत काशी क्षेत्र के जीआइ उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

बनारस और जाम की विवशता

प्रवासी भारतीय दिवस से जुड़े पहले आयोजन में जाम के झाम की विवशता सामने आई। मुख्य अतिथि के इंतजार में हो रहे विलंब के पीछे मंच संचालक ने बार बार इसका ही हवाला दिया। इसका परिणाम रहा कि शाम 5.25 बजे से शुरू होने वाला आयोजन 56 मिनट की देरी से शुरू हो सका। समापन 8.05 के बजाय 9.25 बजे किया गया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.