वाराणसी में बिजली का फिक्स चार्ज दे रहा तगड़ा झटका, सरकार से राहत की मांग
औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत शून्य अथवा कांट्रेक्टेड लोड से कम हैै। वहीं फिक्सड-डिमांड चार्ज पूरे कांट्रेक्टेड विद्युत भार का देय है। ऐसे में सरकार से राहत की मांग की गई है।
वाराणसी, जेएनएन। लॉकडाउन अवधि में औद्योगिक इकाइयां ढाई माह तक बंद थीं। कुछ दिनों पहले इन इकाइयों में उत्पादन शुरू करने का प्रयास हुआ है। हालांकि बाधित डिमांड-सप्लाई चेन और कुशल कामगारों के पलायन के कारण अभी औसतन 25 फीसद उत्पादन हो पा रहा है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) का मानना है कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों को पूरी उत्पादन क्षमता तक पहुंचने में कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा।
इस आर्थिक बोझ से सरकार को राहत देनी चाहिए
एसोसिएशन के मुताबिक औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत शून्य अथवा कांट्रेक्टेड लोड से कम हैै। बावजूद इसके उन पर फिक्सड-डिमांड चार्ज पूरे कांट्रेक्टेड विद्युत भार का देय है। पहले से ही धनाभाव से जूझ रहे उद्योगों को बिना बिजली खर्च किए अनावश्यक फिक्सड-डिमांड चार्ज देना असहनीय है। ऐसे में इस आर्थिक बोझ से सरकार को राहत देनी चाहिए। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी के मुताबिक आइआइए ने 27 मार्च को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लॉकडाउन अवधि में उद्योगों से फिक्सड-डिमांड चार्जेज नहीं लेने का आग्रह किया था। इसे स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने एक अप्रैल को ऊर्जा विभाग को निर्देश दिया था।
राहत पैकेज का लाभ उपभोकताओं को भी मिलना चाहिए
इसमें कहा गया कि ऊर्जा विभाग लॉकडाउन अवधि में उद्योगों से बिजली का फिक्सड चार्ज न ले। चौधरी ने कहा कि इसके बावजूद मुख्यमंत्री के आदेश में हेराफेरी कर ऊर्जा विभाग ने फिक्सड-डिमांड चार्ज में छूट के बजाय स्थगित किया है। वहीं, अब जून के बिजली के बिलों में स्थगित किए गए फिक्सड डिमांड चार्ज की मांग की गई है जिसे देने में उद्योग असमर्थ हैं। संगठन के राजेश भाटिया, नीरज पारिख आदि ने कहा कि उत्तराखंड व पंजाब में उद्योगों को फिक्सड डिमांड चार्ज में छूट दे दी गई है। केंद्र सरकार व विद्युत उत्पादन इकाइयों ने भी उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग को राहत पैकेज दिया है जिसका लाभ उपभोकताओं को भी मिलना चाहिए।