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कोरोना से बचाव में कारगर सबित हो रहा सोंठ का चूर्ण, बीएचयू के विशेषज्ञ कर रहे अध्ययन

बीएचयू के आयुर्वेद व माडर्न मेडिसिन के चिकित्सकों के हालिया अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। आयुर्वेद विभाग ने कोरोना से बचाव के लिहाज से रेडक्रास सोसायटी के सहयोग से इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए अगस्त के पहले सप्ताह में प्रोजेक्ट शुरू किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 06:12 PM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 06:12 PM (IST)
कोरोना से बचाव में कारगर सबित हो रहा सोंठ का चूर्ण, बीएचयू के विशेषज्ञ कर रहे अध्ययन
बीएचयू के आयुर्वेद व माडर्न मेडिसिन के चिकित्सकों के हालिया सोंठ के अध्ययन में कई तथ्य सामने आए हैं।

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। हर रसोई में आसानी से उपलब्ध सोंठ (सूखी अदरक) कोरोना से बचाने में भी मददगार साबित हो रही है। बीएचयू के आयुर्वेद व माडर्न मेडिसिन के चिकित्सकों के हालिया अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। आयुर्वेद विभाग ने कोरोना से बचाव के लिहाज से रेडक्रास सोसायटी के सहयोग से इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए अगस्त के पहले सप्ताह में प्रोजेक्ट शुरू किया। इसमें कोरोना संक्रमितों के परिवार के हाई रिस्क वाले 910 सदस्यों की सहमति से रोजाना भोजन के बाद सुबह-शाम दो-दो ग्राम सोंठ का चूर्ण खिलाया गया। मूंग के दाने बराबर मात्रा (एक ग्राम) नाक से दी गई। पखवारे भर बाद 700 लोगों के रिव्यू में कोई पाजिटिव नहीं था। एक माह बाद अन्य 200 लोगों के रिव्यू में भी कोई संक्रमित नहीं मिला। प्रोजेक्ट के पीआइ (ङ्क्षप्रसीपल इन्वेस्टीगेटर) वैद्य सुशील दुबे ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के क्वालिटी आफ लाइफ के लिए निर्धारित 26 ङ्क्षबदुओं के आधार पर स्वास्थ्य टीम रिव्यू कर रही है। अगला रिव्यू नवंबर में होगा।

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फैट मॉलीक्यूल को करता है डिजाल्व

प्रोजेक्ट पीआइ वैद्य सुशील दुबे के अनुसार कोरोना वायरस फैट मॉलीक्यूल पर बैठ कर शरीर के प्रोटीन को नुकसान पहुंचाता है। सोंठ में फैट मॉलीक्यूल को गलाने की क्षमता होती है। इसलिए मरीज को दो ग्राम चूर्ण चूसने और एक ग्राम सूंघने को दिया गया। इससे मुंह व नाक में वायरस टिकने की आंशका नगण्य रह जाती है।

गर्म होती है सोंठ की तासीर

सोंठ की तासीर भी अदरक की तरह गर्म होती है। इससे उसका कम मात्रा में सेवन फायदेमंद होता है। अधिक सेवन से सीने में जलन, डायरिया, पेट संबंधी रोग की आशंका होती है।

इन्हेंं अध्ययन से रखा गया है बाहर

अध्ययन में गर्भवती महिला व आठ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं लिया गया। पाइल्स या अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी की दशा में चिकित्सीय परामर्श लेते हुए चूर्ण का सेवन बंद करने को कहा गया है।

प्रोजेक्ट में सहयोग

माडर्न मेडिसिन आइएमएस-बीएचयू के प्रो. आरएन चौरसिया, ईएनटी के डा. विश्वंभर ङ्क्षसह, आयुर्वेद के डा. पीएस गायडगी, बीएचयू अस्पताल के एमएस प्रो. एसके माथुर, आयुर्वेद विभाग से प्रो. वाईबी त्रिपाठी, आइआइटी-बीएचयू के प्रो. सुनील मिश्रा।


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