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वाराणसी परिक्षेत्र के डाक विभाग ने बनारसी जीआइ उत्पादों की नक्काशी पर जारी किया विशेष आवरण

Banarasi GI products तीन जीआइ यानी भौगोलिक संकेतक उत्पादों - बनारस जरदोजी बनारस हैण्ड ब्लॉक प्रिंट और बनारस लकड़ी की नक्काशी पर विशेष आवरण और विरूपण जारी किया। इसी के साथ अब तक वाराणसी क्षेत्र से संबंधित 11 जीआइ उत्पादों पर डाक विभाग विशेष आवरण जारी कर चुका है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 10:48 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 10:48 PM (IST)
वाराणसी परिक्षेत्र के डाक विभाग ने बनारसी जीआइ उत्पादों की नक्काशी पर जारी किया विशेष आवरण
तीन जीआइ यानी भौगोलिक संकेतक उत्पादों की नक्काशी पर विशेष आवरण और विरूपण जारी किया।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। भारतीय डाक विभाग द्वारा प्रधान डाकघर, वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे भाष्कर खुल्बे और जीआइ एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ. रजनीकांत संग तीन जीआइ यानी भौगोलिक संकेतक उत्पादों - बनारस जरदोजी, बनारस हैण्ड ब्लॉक प्रिंट और बनारस लकड़ी की नक्काशी पर विशेष आवरण और विरूपण जारी किया। इसी के साथ अब तक वाराणसी क्षेत्र से संबंधित 11 जीआइ उत्पादों पर डाक विभाग विशेष आवरण जारी कर चुका है।

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इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सलाहकार रहे भाष्कर खुल्बे ने डाक विभाग की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीआइ उत्पादों को नई पहचान मिलेगी। जीआइ उत्पाद 'आत्मनिर्भर भारत' की संकल्पना को साकार करते हुए वैश्विक स्तर पर भी अपनी ब्रांडिंग बनाने में कामयाब हो रहे हैं और 'लोकल' से 'ग्लोबल' की अवधारणा को फलीभूत कर रहे हैं। जीआइ सिर्फ भौगोलिक संकेतक मात्र नहीं बल्कि 'गिफ्ट फ्रॉम इंडिया' भी हैं। वाराणसी डाक क्षेत्र देश भर में जीआई उत्पादों पर सबसे ज्यादा विशेष आवरण जारी करके अग्रणी रहा है। खुल्बे ने कहा कि जीआइ उत्पादों को डाक विभाग के माध्यम से सीधे उत्पादकों से लेकर उपभोक्ताओं तक डाकिया द्वारा पहुँचाया जा रहा है। इससे अर्थव्यवस्था को भी काफी फायदा होगा। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने जिस तरह से जीआई उत्पादों को आगे बढ़ाने की पहल की है, उससे इसे 'वोकल फ़ॉर लोकल' और 'लोकल टू ग्लोबल' रूप में नए आयाम मिल रहे हैं।

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि वाराणसी के जीआइ उत्पाद विश्व भर में अनोखी पहचान रखते हैं और इस कला को यहां के कारीगरों ने पुश्त दर पुश्त सदियों से सहेज रखा है। इन विशेष आवरण (लिफाफों) के माध्यम से बनारस की पारम्परिक हस्तशिल्प, कारीगरी और यहां की संस्कृति देश -विदेश में प्रचार-प्रसार पायेगी। कहा कि इससे पूर्व भी वाराणसी जिले से संबंधित 6 जीआइ उत्पादों - बनारस ब्रोकेड और साड़ी, बनारस गुलाबी मीनाकारी क्रॉफ्ट, वाराणसी सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, वाराणसी लकड़ी के लाख और खिलौने, बनारस मेटल रिपोज क्रॉफ्ट और वाराणसी ग्लास बीड्स पर विशेष आवरण और विशेष विरूपण जारी किया जा चुका है। चूंकि डाक विभाग की पहुंच सर्वत्र है, ऐसे में इसके माध्यम से जीआइ उत्पाद भी घर-घर पहुंच सकेंगे। इंटरनेशनल बिजनेस सेंटर के माध्यम से जहां जीआइ उत्पाद विदेशों में भेजे जा रहे हैं, वहीं अब पार्सल पैकेजिंग यूनिट की स्थापना कर इनका प्रेषण और भी सुचारू बनाया जा रहा है।

जीआइ एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने कहा कि एक भूक्षेत्र में सर्वाधिक जीआइ का रिकार्ड भी वाराणसी के नाम है। उत्तर प्रदेश के 34 में से 18 जीआई उत्पाद वाराणसी और इसके आसपास के जिलों से हैं, जिनका सालाना कारोबार करीब 22,500 करोड़ रूपये का है। जीआइ उत्पादों से वाराणसी और आसपास के लगभग 20 लाख कारीगर जुड़े हुए हैं। अभी वाराणसी के 10 और उत्पादों को जीआई टैग मिलने की प्रक्रिया चल रही है। आने वाले दिनों में बनारस के एग्रो उत्पाद, हॉर्टिकल्चर उत्पाद, विशिष्ट चावल और मिठाईयों को भी जीआई टैग दिलवाने का प्रयास जारी है।

इस अवसर पर वाराणसी पूर्व मंडल के प्रवर अधीक्षक डाकघर राजन, सीनियर पोस्ट मास्टर चंद्रशेखर सिंह बरुआ, सहायक निदेशक ब्रजेश शर्मा, सहायक अधीक्षक एसके चौधरी, आरके चौहान, पंकज श्रीवास्तव, अजय कुमार, सुरेश चन्द्र, नरेश बारा सहित डाक विभाग के तमाम अधिकारी-कर्मचारीगण, जीआई उत्पाद से जुड़े कारीगर और विशेषज्ञ इत्यादि उपस्थित रहे।


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