नौ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर के स्थाई चेयरमैन का पद खाली
नौ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर (बीओजी) के स्थाई चेयरमैन का पद खाली है। इसमें आइआइटी बीएचयू भी शामिल है।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। नौ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर (बीओजी) के स्थाई चेयरमैन का पद खाली है। इसमें आइआइटी बीएचयू भी शामिल है। यानी बीओजी चेयरमैन का दायित्व बतौर कार्यवाहक संस्थान के निदेशक के पास ही है। आइआइटी बीएचयू के बीओजी के पूर्णकालिक चेयरमैन का पद वर्ष 2018 में अप्रैल से ही खाली है। कमोबेश यही स्थिति पटना, गांधीनगर, रुड़की, रोपड़ आइआइटी की है। वहीं, बांबे, भुवनेश्वर, गुवाहाटी व दिल्ली आइआइटी में पिछले साल से बीओजी के कार्यवाहक चेयरमैन काम देख रहे हैैं।
यह जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय से आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना में एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी को मिली है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय इन पदों को भरने के लिए काम कर रहा है। आइआइटी के संचालन, नीति निर्धारण, भविष्य की योजनाएं तैयार करने आदि में बीओजी चेयरमैन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
नामचीन हस्तियां संभाल चुकीं हैैं जिम्मेदारी
प्रमुख उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला व परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदर बांबे आइआइटी में बीओजी के चेयरमैन रह चुके हैैं। वहीं, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डा. राधाकृष्णन वर्तमान में कानपुर आइआइटी बीओजी के चेयरमैन हैं। तकनीकी व औद्योगिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों के आने से शोध व अनुसंधान के साथ आइआइटी का एक नया आयाम व व्यावहारिक पक्ष सामने आता है।
आइआइटी बीएचयू की व्यवस्था
बहरहाल, आइआइटी, बीएचयू के निदेशक प्रो. पीके जैन अप्रैल 2018 के बाद से बीओजी के कार्यवाहक चेयरमैन हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक अगले चेयरमैन की नियुक्ति तक निदेशक कार्यवाहक चेयरमैन रह सकते हैं। वहीं, बोर्ड ऑफ गर्वनर में वाइस चेयरमैन प्रो. आनंद मोहन हैं। सचिव आइआइटी के रजिस्ट्रार होते हैं। चेयरमैन की कार्य अवधि तीन साल की है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संस्तुति पर राष्ट्रपति आइआइटी के चेयरमैन को नामित करते हैैं। वर्ष 2012में आइआइटी का दर्जा मिलने के बाद संस्थान के बीओजी के चेयरमैन बीएचयू के कुलपति रहे हैं। इस पद पर प्रो. लालजी सिंह व प्रो. जीसी त्रिपाठी रह चुके हैं।