वाराणसी में स्मार्ट सिटी योजना के तहत चहकेंगे काशी के कुंड और बदलेगा पोखरों का स्वरूप
स्मार्ट सिटी योजना के तहत काशी के कुंडों और पोखरों को संवारा जाएगा उसे पुराने स्वरूप में लाया जाएगा ताकि लोग उसके महत्व को जान सकें।
वाराणसी, जेएनएन। स्मार्ट सिटी योजना के तहत काशी के कुंडों और पोखरों को संवारा जाएगा। उसे पुराने स्वरूप में लाया जाएगा ताकि लोग उसके महत्व को जान सकें। इसके लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इसे वर्ष 2020 तक काम पूरा करने का लक्ष्य है। इस काम को नगर निगम जल्द ही शुरू कराएगा। स्मार्ट सिटी के सीईओ और नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि चहारदीवारी के साथ चारों ओर से पक्की सीढि़यां बनाई जाएंगी। बच्चों के लिए झूला और पौधों का रोपण किया जाएगा। कहा कि पांडेयपुर तालाब का विकास एवं सौन्दर्यीकरण 8.19 करोड़ की लागत से होना है।
सिगरा स्थित चकरा तालाब और भदैनी स्थिति सोनभद्र तालाब का विकास एवं सौन्दर्यीकरण 4.60 करोड़ से होगा। मंदाकिनी कुंड का जीर्णोद्धार 6.80 करोड़ से किया जा रहा है। इसमें 35 फीसद काम हो चुका है। वहीं नदेसर तालाब का काम 3.37 करोड़ से, चितईपुर तालाब का सौन्दयीकरण 1.43 करोड़ से तथा नेवादा स्थित आल्हा काल्हा पोखरे का काम 5.24 करोड़ से होना है। सिगरा स्थित चंद्रिका नगर पोखरा और कुड़िया हनुमान मंदिर का सौन्दर्यीकरण 7 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा।
इसी तरह पोखरा सरायसुर्जन बड़े हनुमान मंदिर तालाब, जिवधीपुर और बड़ी गैबी स्थित गैबी बाबा कुंड का सौन्दर्यीकरण स्मार्ट सिटी के तहत कराया जाना है। अस्तित्व को तरस रहे तालाब भदैनी स्थिति सोनभद्र तालाब का विकास एवं सौन्दर्यीकरण स्मार्ट सिटी के तहत प्रस्तावित है। लेकिन यह तालाब अपने अस्तित्व से जूझ रहा है। यही हाल चंद्रिका नगर स्थित पोखरे, नेवादा स्थित आल्हा काल्हा और बड़ी गैबी पोखरे का भी यही हाल है। दिलचस्पत यह है कि बड़ी गैबी कुंए का पानी अब भी अमृत माना जाता है जिसे लेने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।