पालीथिन जब्ती व जुर्माना वसूली की मिली थी जिम्मेदारी, 19 विभागों को देनी थी रसीद बुक
पालीथिन बैन होने के बाद प्रशासन ने सौगंध खाई थी कि 15 अगस्त तक शहर को इससे मुक्ति दिला देंगे लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
वाराणसी, जेएनएन। पालीथिन बैन होने के बाद प्रशासन ने सौगंध खाई थी कि 15 अगस्त तक शहर को इस नासूर से मुक्ति दिला कर दम लेंगे। काशी को पालीथिन मुक्त बना देंगे लेकिन असलियत चौंकाने वाली है। इसके लिए जिम्मेदार ही शासन की सख्ती की हवा निकालने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। जुलाई महीने में कमिश्नर ने बैठक कर पालीथिन बैन को लेकर घंटों मंथन किया था। उन्होंने निर्देश दिया था कि 19 विभागों को नगर निगम रसीद बुक देगा।
इसके जरिए पालीथिन जब्तीकरण की कार्रवाई कर जुर्माना वसूलने की बात कही। 19 जुलाई को 14 विभागों को रसीद बुक रिसीव करा दी गई, जबकि पांच सादी बुक नगर निगम को वापस कर दी गई। नगर निगम के खजाना विभाग के रजिस्टर में सिर्फ अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय द्वारा जमा कराई गई तीन हजार रुपये की धनराशि दर्ज है। बाकी अन्य लोगों को कोई रिकार्ड दर्ज नहीं है। पालीथिन पर प्रतिबंध को लेकर कार्रवाई वर्तमान में ठंडे बस्ते में चली गई है। नतीजा बाजार में इसका उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। नगर निगम न तो जिला प्रशासन इसको लेकर संजीदगी बरत रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन से लेकर नगर निगम ने भी काफी सख्ती दिखाई। यह सख्ती कुछ ही दिनों में काफूर हो गई। नगर निगम ने पालीथिन पर प्रतिबंध लगने के बाद अब तक छह लाख रुपये जुर्माना वसूला है। कार्रवाई के दौरान सैकड़ों दुकानदारों से दो क्विंटल से अधिक पालीथिन जब्त की गई।
इन्हें दी गई थी रसीद : उपजिलाधिकारी, राजा तालाब, अधिशासी अधिकारी, टाउन एरिया गंगापुर,-उपजिलाधिकारी, सदर, अपर श्रमायुक्त, वाराणसी, उप नियंत्रक, बाट-माप, उपजिलाधिकारी, पिंडरा, अपर नगर मजिस्ट्रेट-प्रथम, अपर नगर मजिस्ट्रेट-द्वितीय, अपर नगर मजिस्ट्रेट-तृतीय, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा, पर्यटन अधिकारी, सहायक पर्यटन अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी व नगर मजिस्ट्रेट।