इस पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों पर हर वक्त मंडराता है संकट
चंदौली में नक्सल प्रभावित इलाके की रामपुर पुलिस चौकी में रहने वाले पुलिसकर्मियों की जान पर खतरा मंडराता है। चौकी छत व दीवारें जर्जर हैं।
चंदौली (जेएनएन ) : नक्सल प्रभावित इलाके की रामपुर पुलिस चौकी का हाल देखिए ..। ड्यूटी के बाद पुलिसकर्मियों का यही ठिकाना होता है। पुलिस चौकी की दशा देख देख ढेरों सवाल उठते हैं। मसलन, ड्यूटीरत पुलिसकर्मियों की मनोदशा क्या होगी? क्या आराम कर पाते होंगे? बारिश के दिनों में हालात कैसे होंगे .. आदि। ऐसा भी नहीं कि मैन पॉवर ही पर्याप्त हों। स्थिति यह है कि एक दारोगा, दो सिपाही, दो होमगार्ड की तैनाती से खुद की सुरक्षा को भी संकट। आलम यह है कि चौकी की दीवारें सीलन से भरी हैं। छत से हर दम पानी टपकता रहता है। कमरों की हालत यह है कि कब यह ढह जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में यहां रहने वाले पुलिसकर्मियों की जान पर संकट मंडरा रहा है।
बरहनी इलाका अंतर्गत सैयदराजा-जमानिया मार्ग किनारे पुलिस चौकी का सृजन 1995 में हुआ था। उसके बाद एक प्राइमरी स्कूल में पुलिस चौकी स्थापित कर ठिकाना दिया गया। वर्ष 2004-05 से जल निगम के खाली पड़े चार कमरे में चल रहा है। यहां पानी टपकता रहता है। एक दशक से ज्यादा समय बीतने के बावजूद कोई बदलाव नहीं हो सकी। उस समय के मुकाबले जिम्मेदारिया, आबादी कई गुना बढ़ गईं। चौकी नक्सल इलाके में होने के साथ बिहार बार्डर पर बसे होने से पुलिसकर्मियों पर काम का खासा दबाव रहता है। ऐसे में चौकी की दुर्दशा खाकी वालों की दुश्वारिया बताने को पर्याप्त हैं।
सन् 1994 में धीना थाना क्षेत्र के गोरखा पुलिस चौकी पर हमला बोल नक्सली तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर रायफल लूट ले गए थे। सन् 1995 में खुरहट के मनोज सिंह, रामधनी और रामपुर के महेन्द्र प्रताप सिंह की एक ही रात हत्या हो गई थी। उसी समय प्रशासन ने रामपुर में पुलिस चौकी की स्थापना की। पुलिस चौकी कुछ दिनों तक एक खलिहान फिर प्राथमिक विद्यालय में भी चली थी। सीओ सकडीहा त्रिपुरारी पाडेय ने बताया कि धन आ गया है। सुविधाएं जल्द ही बहाल होंगी।