बनारस में तैयार होंगे प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के इंजीनियर, सिपेट खोलेगा प्रदेश का दूसरा सीएसटीसी, करसड़ा में मिली 10 एकड़ जमीन
देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बने प्लास्टिक कचरे का अब काशी में सही उपयोग हो सकेगा। साथ ही प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों की भी यहां फौज तैयार होगी।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बने प्लास्टिक कचरे का अब काशी में सही उपयोग हो सकेगा। साथ ही प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों की भी यहां फौज तैयार होगी। इसके लिए सिपेट (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) की ओर से वाराणसी में लखनऊ के बाद प्रदेश का दूसरा व देश का 40वां सीएसटीसी (सेंटर फार स्कीलिंग एंड टेक्निकल सपोर्ट) खोलने की तैयारी है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने करसड़ा में 10 एकड़ भूमि भी मुहैया करा दी है। इस केंद्र को बनाने की जिम्मेदारी सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) को मिली है। यही नहीं अप्रैल से ही इसमें पठन-पाठन भी शुरू हो जाएगा। शुरुआत में एक साथ 400 छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
युवा सीखेंगे इंजीनियर बनने का हुनर : इस केंद्र में पहले चरण में तीन व छह माह के कोर्स चलाए जाएंगे। इस कोर्स को पूरा करने के बाद आपरेटर जबकि डिप्लोमा शुरू होने पर इंजीनियर तैयार होंगे। इस केंद्र के
300 छात्र व 100 छात्राओं के लिए छात्रावास भी बनाया जाएगा।
नौकरी की अपार संभावनाएं
यहां से प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी की भी अपार संभावनाएं होंगी। इसे सरकार की ओर से पूर्वांचल के लिए बड़ी सौगात माना जा रहा है। केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रालय की इस योजना में केंद्र एवं राज्य सरकार 50-50 फीसद बजट देगी।
अति आधुनिक लैब : यहां प्लास्टिक की री-साइकिलिंग व लैब प्रोसेसिंग आदि का प्रशिक्षण मिलेगा। इसके लिए अति आधुनिक टेस्टिंग लैब, प्रोसेसिंग लैब, एडमिन ब्लॉक, वर्कशाप, टूल रूम, हास्टल आदि बनाए जाएंगे। इसके लिए 28 दिसंबर को बैठक होगी।
इस बारें में सेंटर फार स्कीलिंग एंड टेक्निकल सपोर्ट (सिपेट), वाराणसी नोडल अधिकारी एके खरे ने कहा कि वाराणसी में सिपेट को सेंटर फार स्कीलिंग एंड टेक्निकल सपोर्ट स्थापित करने के लिए भूमि मिल गई है। अगले दो माह में भवन निर्माण शुरू हो जाएगा। पूर्वांचल के हजारों युवाओं को मुफ्त में प्लास्टिक टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग दी जाएगी।