गंगा किनारे लगाएं बाग, सरकार देगी तीन हजार रुपये महीना, नर्सरी के लिए 7.5 लाख तक अनुदान
गंगा किनारे वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। अब गंगा की पट्टी में अब फलदार बाग लहलहाएंगे। जिले के चोलापुर चिरईगांव एवं काशी विद्यापीठ विकासखंड के किसानों की आय में गुणात्मक वृद्धि करने हेतु उद्यान विभाग ने बागवानी की योजना तैयार किया है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। गंगा के किनारे रहने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। अब गंगा की पट्टी में लहलहाएंगेे फलदार बाग। जिले के चोलापुर, चिरईगांव एवं काशी विद्यापीठ विकासखंड के किसानों की आय में गुणात्मक वृद्धि करने हेतु उद्यान विभाग ने बागवानी की योजना तैयार किया है। गंगा के किनारे स्थित ग्रामों के किसान अपने खेतों में आम, अमरूद, आंवला, बेर, बेल, अनार , शरीफा, नींबू की बागवानी करेंगे और कटीला तार या चैन लिंक फेंसिंग से बाग की सुरक्षा व्यवस्था करते हुए इंटर क्रापिंग के रूप में साग भाजी की फसल भी लेंगे।
इस कार्य में किसानों को बागवानी और खेती की सुरक्षा के लिए सरकार 3000 प्रति माह प्रति हेक्टेयर की दर से तीन वर्षों तक कुल 1,0,8000 रुपये उनके बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से देगी। उद्यान निदेशक डा. आरके तोमर द्वारा गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में उद्यानिकी विकास योजना अंतर्गत 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बागवानी कराने का लक्ष्य जनपद को दिया गया है। किसानों को गुणवत्ता युक्त फलदार पौधों की भविष्य में उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु एक मॉडल नर्सरी स्थापित कराने का भी लक्ष्य दिया है।
नर्सरी की स्थापना एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के मानकों के अनुरूप किसान अपने खेत पर स्थापित करेगा, जिसमें बोरिंग, मातृ पौधे, पाली हाउस, हार्डनिंग शेड लगाए जाएंगे तथा उस पर लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रुपए 7. 50 लाख का अनुदान बैंक एंडेड सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा। जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त ने बताया कि गंगा की पट्टी में 10 -10 हेक्टेयर के क्लस्टर विकसित करते हुए किसानों का चयन प्रथम आवक, प्रथम पावक के आधार पर किया जाएगा। इच्छुक किसान अपने खतौनी, बैंक पासबुक की छायाप्रति, आधार कार्ड की छाया प्रति और फोटो के साथ जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय कचहरी अथवा उद्यान विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
एक किसान को 16 बिस्वा से लेकर एक हेक्टेयर तक बागवानी करने एवं अनुदान लाभ लेने की अनुमन्यता योजना में दी गई है ।किसान को मात्र अपने बाग को तैयार करना है तथा भविष्य में जीविकोपार्जन और आय में वृद्धि करने हेतु सब्जियों ,मसाले की खेती को इंटर क्रॉपिंग के रूप में अपनाना होगा ।जनपद में गंगा के किनारे 44 ग्रामों में कुछ शहरी क्षेत्र की सटी ग्राम पंचायतों के अतिरिक्त सभी अन्य ग्राम पंचायतें इस योजना में पात्रता की श्रेणी में है तथा नजदीकी पांच किलोमीटर की परिधि अंतर्गत भी किसान योजना से जुड़ सकते हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय दोगुनी करने तथा गंगा के किनारे प्रदूषण मुक्त वातावरण और पर्यावरणीय सुरक्षा बनाए रखना है।