चंदौली में बिहार बार्डर पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस गेट लगाने की योजना फाइलों में गुम
शासन ने सीमा पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस गेट लगाने का आदेश दिया था। लेकिन योजना अब तक फाइलों में गुम है। ओवरलोड वाहनों का आवागमन नहीं रुक रहा है। इससे जिला प्रशासन को हर माह लाखों रुपये राजस्व का चूना लग रहा है।
चंदौली, जेएनएन। जिले में बिहार से ओवरलोड वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए शासन ने सीमा पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस गेट लगाने का आदेश दिया था। लेकिन योजना अब तक फाइलों में गुम है। ओवरलोड वाहनों का आवागमन नहीं रुक रहा है। इससे जिला प्रशासन को हर माह लाखों रुपये राजस्व का चूना लग रहा है। वहीं आए दिन हादसे हो रहे हैं। भारी वाहनों से जिले की सड़कें भी खराब हो रही हैं।
शासन ने ओवरलोड वाहनों का अवैध ढंग से आवागमन से होने वाली राजस्व की हानि को रोकने के लिए नौ माह पहले ही यूपी-बिहार सीमा पर नौबतपुर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त चेक गेट लगाने का आदेश दिया था। इससे क्षमता से अधिक भार लादकर जिले की सीमा में प्रवेश करने वाले वाहनों को आसानी से चिह्नित कर कार्रवाई की जाती। प्रशासन का काम आसान हो जाता। लेकिन योजना फाइलों में दबकर रह गई।
दरअसल, बिहार से रोजाना दर्जनों की संख्या में बालू लदे ट्रक जिले की सीमा में प्रवेश करते हैं। सोन नदी से अवैध खनन कर लाई जाने वाली बालू प्रशासन, खनन व परिवहन विभाग की मिलीभगत से खुलेआम सप्लाई हो रही है। बिहार सीमा पर स्थित नौबतपुर, बगहीं, चंदौली के मधुपुर समेत हाईवे पर अवैध खनन के वाहनों को पास कराने वाले बालू माफियाओं की खूब चलती है। संगठित रूप से अवैध बालू गिट्टी की गाडिय़ों का आवागमन करा रहे हैं। जिले में बालू के भंडारण के लिए केवल चार लोगों के पास लाइसेंस है। इसके बाद भी माफिया खनन और पुलिस विभाग की मिलीभगत से धड़ल्ले से अवैध भंडारण करते हैं। जबकि 24 फरवरी 2020 को उप्र सरकार के सचिव रोशन जैकब ने सभी जिलों के डीएम को दूसरे राज्यों से खनन के वाहनों के आने पर सख्ती को निर्देश दिए थे।
राज्यों की सीमा पर गेट बनाकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से खनिज से भरे वाहनों की निगरानी को कहा गया था। सभी राज्यों की सीमा पर गेट बनने थे। उन पर कैमरे भी लगाए जाने थे। यहां निगरानी के बाद दूसरे राज्यों से खनिज पदार्थ लेकर आने वाले वाहनों से विनियमन शुल्क लिया जाना था। मगर, अभी तक कुछ नहीं हुआ।