Move to Jagran APP

पितृ पक्ष आज से, गंगा घाट के साथ ही पिशाचमोचन में सुबह से ही जारी अनुष्ठान का दौर

इस बार आश्विन कृष्ण पक्ष में षष्ठी तिथि की हानि से यह पक्ष 14 ही दिनों का होगा। ऐसे में द्वादशी और त्रयोदशी का श्राद्ध तर्पण छह अक्टूबर को किया जाएगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 12:33 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 05:42 PM (IST)
पितृ पक्ष आज से, गंगा घाट के साथ ही पिशाचमोचन में सुबह से ही जारी अनुष्ठान का दौर
पितृ पक्ष आज से, गंगा घाट के साथ ही पिशाचमोचन में सुबह से ही जारी अनुष्ठान का दौर

वाराणसी [सौरभ चक्रवर्ती] : सनातनी परंपरा के तीन ऋणों में पितृ ऋण प्रमुख माना जाता है। पितरों को समर्पित आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितृ पक्ष कहा जाता है। पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्धकर्म मंगलवार से शुरू हो गया। देश के विभिन्न प्रांतों से आने वाले लोगों की संख्या सोमवार से ही बढऩे लगी है। मंगलवार की सुबह गंगा घाटों पर तर्पण करने वालों की काफी भीड़ उमड़ी। उधर पिशाचमोचन में भी पितरों को नमन करने का अनुष्ठान भी शुरु हुआ। 

loksabha election banner

आश्विन मास की शुरुआत 26 से होगी मगर सनातन धर्म में किसी पक्ष की शुरुआत उदया तिथि के अनुसार मानी जाती है और श्राद्ध-तर्पण का समय मध्याह्न में होना आवश्यक माना जाता है। इस लिहाज से पितृपक्ष का आरंभ 25 सितंबर से माना जा रहा है। खास यह कि इस बार आश्विन कृष्ण पक्ष में षष्ठी तिथि की हानि से यह पक्ष 14 ही दिनों का होगा। ऐसे में द्वादशी और त्रयोदशी का श्राद्ध तर्पण छह अक्टूबर को किया जाएगा। सर्वपैत्री श्राद्ध अमावस्या व पितृ विसर्जन आठ अक्टूबर को मनाया जाएगा।

प्राचीन ग्रंथों तथा पुराणों में वर्णन

श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है उसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध के महत्व के बारे में कई प्राचीन ग्रंथों तथा पुराणों में वर्णन मिलता है। श्राद्ध का पितरों के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। पितरों को आहार और अपनी श्रद्धा पहुंचाने का एकमात्र साधन श्राद्ध है। मृतक के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिंड और दान ही श्राद्ध कहा जाता है। 

गंगा घाटों पर मिट्टी से परेशानी

तर्पण करने के लिए गंगा घाटों पर लोगों की भीड़ तो होगी लेकिन बाढ़ के बाद अभी मिट्टी जमा हुआ है। इसकी सफाई नहीं हो पाई है। ऐसे में लोगों को दिक्कतों का समाना करना पड़ा। हालांकि निगम की ओर से सुबह घाटों की मिटटी साफ करने का प्रयास तो हुआ मगर इससे स्‍नानार्थियों को ही दुश्‍वारी अधिक झेलनी पड़ी।

धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में भीड़

भारत के विभिन्न प्रांतों से काशी आकर तर्पण करने वालों की काफी उपस्थिति घाट के आसपास धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में हैं। सोमवार की शाम से लोगों की भीड़ होने लगी हैं। मंगलवार की सुबह तर्पण करने के लिए पंडे-पुरोहितों ने भी तैयारी कर रखी हैं। पूजा-पाठ की दुकानों में अनुष्ठान से संबंधित वस्तुओं की काफी मांग रही। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.