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घाटों-कुंडों पर श्रद्धा दिखाई, श्राद्ध कर पितरों को दी विदाई

वाराणसी : पितरों को समर्पित पितृपक्ष के अंतिम दिन मंगलवार को सनातन धर्मियों ने घाटों-कुंडों प

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 02:03 AM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 02:03 AM (IST)
घाटों-कुंडों पर श्रद्धा दिखाई, श्राद्ध कर पितरों को दी विदाई
घाटों-कुंडों पर श्रद्धा दिखाई, श्राद्ध कर पितरों को दी विदाई

वाराणसी : पितरों को समर्पित पितृपक्ष के अंतिम दिन मंगलवार को सनातन धर्मियों ने घाटों-कुंडों पर श्रद्धा से श्राद्ध कर पितरों को विदा किया। गंगा समेत नदी-सरोवरों में स्नान कर विधि विधान से पितरों का तर्पण व पिंडदान किया। अमावस्या पर सर्वपैत्री श्राद्ध के विधान के तहत परिवार के भूले-बिसरे सभी पुरखों का स्मरण किया और जो 14 दिनों तक तर्पण व पिंडदान नहीं कर पाए थे, एक अनुष्ठान से संपूर्ण फल प्राप्त किया। इसके लिए स्थानीयजनों के साथ ही आसपास के जिलों से भी लोगों की सुबह से ही घाटों-कुंडों पर जुटान हुई।

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हाथों में कुश लेकर काली तिल, अक्षत व गंगाजल से तर्पण कर पूर्वजों को नमन किया। क्षौर कर्म कराए तथा पिंडदान किया। घरों में पितृ स्वरूप में ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा संग विदाई दी।

पितृपक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि को सर्वपैत्री श्राद्ध का विशेष महात्म्य है। मान्यता है कि इस दिन काशी में गंगा स्नान कर पिडंदान व तर्पण से देवलोक से आए पितृ तृप्त होते हैं। परिवार के भूले-बिसरे सभी का स्मरण इस दिन किया जाता है। घाट पर जुटे पंडों-पुरोहितों ने समूह में भी लोगों को पिंडदान कराया। अस्सी घाट, केदारघाट, दशाश्वमेध घाट, सिंधिया घाट, पंचगंगा घाट व भैसासुर घाट के साथ ही पिशाचमोचन कुंड, ईश्वरगंगी पोखरा समेत अन्य घाटों-कुंडों पर पिंडदान व तर्पण करने वालों की अधिक भीड़ रही।


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