पेट्रोल में 2.35 और डीजल के दामों में एक रुपये की बढ़ोत्तरी के बाद ग्राहकों की बढ़ी चिंता
आर्थिक मंदी की दुश्वारियों के बीच सोमवार देर शाम डीजल-पेट्रोल के दाम में महंगाइ की आग लगते ही जनता तेल लेने के लिए पेट्रोल पंपों की ओर दौड़ पड़ी।
वाराणसी, जेएनएन। आर्थिक मंदी की दुश्वारियों के बीच सोमवार देर शाम डीजल-पेट्रोल के दाम में महंगाई की आग लगते ही जनता तेल लेने के लिए पेट्रोल पंपों की ओर दौड़ पड़ी। पेट्रोल में 2.35 रुपये तो डीजल में एक रुपये की बढ़ोत्तरी हुई। पेट्रोलियम पदार्थो के दाम में ऐसी बढ़ोत्तरी करीब डेढ़ माह बाद हुई है। मूल्यवृद्धि की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही आम जनता तेल लेने के लिए पेट्रोल पंपों पर दौड़ पड़ी।
- राहत पर आ गई आफत पेट्रोल एवं डीजल दामों में 10 से लेकर 15 अगस्त तक बढ़ोत्तरी नहीं हुई। जिससे लोग राहत की सांस ले रहे थे। कइयों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया कि सब धीरे-धीरे पटरी पर आ जाएगा, लेकिन शायद वह सुनामी से पहले की शांति रही। पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में वृद्धि की भनक लगी तो लोग आक्रोशित हो उठे। -महंगाई से दबकर रह जाएंगे लोग पांच जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2019 का बजट पेश किया तो डीजल-पेट्रोल पर सेस लगा दिया। उसके बाद पेट्रोल में ढाई रुपये तो डीजल में दो रुपये की वृद्धि सामने आई थी। एक साथ दाम में उछाल के कारण ट्रांसपोर्ट किराया बढ़ गया था।
- बढ़ेंगे कच्चे सामानों के दाम कच्चे सामानों पर महंगाई का असर ज्यादा होगा। ऐसे सामानों के दायरे में फल, सब्जियां आएंगी। वाराणसी में सब्जियां पास-पड़ोस के जिलों से पहुंचती हैं।
- पेट्रोल पंपों पर उमड़ी भीड़ पेट्रोलियम मूल्यों में वृद्धि की भनक लगते ही लोगों की भीड़ पंपों पर लग गई। बाइक, फोर लिए लोगों की देर रात तक पहुंचते रहे। कई पेट्रोल पंपों ने घंटे-दो घंटे सेवा देने के बाद विभिन्न तरह की दुश्वारियां गिनाकर डीजल पेट्रोल देने में असमर्थता जता दी।
डीजल में एक रुपये की बढ़ोतरी हुई है। भाड़े में तीन फीसद बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। बरसात का मौसम न होता तो जरूर भाड़े में ज्यादा बढ़ोत्तरी जरूर होती। -जय प्रकाश तिवारी, वाराणसी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
ग्राहकों से बातचीत सरकार को समझना चाहिए। पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में वृद्धि होने से महंगाई बढ़ेगी। -वैभव कुमार
सरकार को देशवासियों की दुश्वारियों पर भी ध्यान देना चाहिए। गरीब कहा तक मूल्य वृद्धि को झेल पाएगा। - अभय कुमार
आर्थिक मंदी की मुश्किलें सिर चढ़कर बोल रही हैं। ऐसे में तेल कंपनियों का निर्णय कष्ट को बढ़ाने वाला है। सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। -रवि मौर्या