Lockdown in varanasi : काशी में इंसान भूखा नहीं सोता तो भला बनारसी लोग बेजुबानों को कैसे भूखा छोड़ दें!
Lockdown in varanasi काशी में इंसान भूखा नहीं सोता तो भला बनारसी लोग बेजुबानों को कैसे भूखा छोड़ दें।
वाराणसी [रवि पांडेय]। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में कोई इंसान भूखा नही सोता लिहाज इन दिनों लॉक डाउन में इंसानों ने बेजुबानों को भी खिलाने के जिम्मा उठा रखा है।
लॉक डाउन के बाद सबसे बड़ा संकट लोगों के भोजन का हो गया खासकर मजदूर वर्ग की समस्या बढ़ती जा रही है। आदमी ही नही अन्य जीव, जंतु भी लॉक डाउन के कारण परेशान हैं। जब शहर खुला रहता था तो इन्हें कई माध्यमों से भोजन वगैरह मिल जाता था। अब इनका जीवन खतरे में है। आदमी के भोजन की व्यवस्था करने वाले अनगिनत हैं लेकिन उसी में कुछ लोग बेजुबानों के भोजन की व्यवस्था भी नियमित रूप से कर रहे हैं। ये लोग रोटियां, बिस्किट, ब्रेड, चना, फल आदि लेकर गाय, बंदर, कुत्ता, पक्षियों तक को नित्य भोजन करा रहे हैं।
वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को भी शहर के अमन चैन और व्यवस्था देखने के साथ ही बेजुबानों की भी फिक्र है और जब निकलते हैं तो कुत्तों और गायों के लिए बिस्किट और ब्रेड जरूर खिलाते हैं। संकट मोचन मंदिर पर बंदरों की फौज को खुद मंदिर प्रबंधन और चौकी प्रभारी ईश्वर दयाल के साथ ही सीओ सुधीर जायसवाल और इंस्पेक्टर भारत भूषण तिवारी चना, केला और रोटी खिलाते हैं। जीआरपी इंस्पेक्टर अशोक कुमार दुबे स्टेशन पर बंदरों, गायों और कुत्तों को नियमित भोजन दे रहे हैं।
बीएचयू के आधा दर्जन छात्र एल एन शर्मा के साथ कैम्पस के कुत्तों को घूमकर रोज खाना खिला रहे हैं। भिखारीपुर के अभिषेक सिंह रोज सुबह पक्षियों को दाना खिला रहे हैं तो लंका रश्मि नगर के निशांत मिश्रा आसपास की गायों को रोज रोटी खिलाने में लगे हैं। दुर्गाकुंड की भावना टंडन भी लगातार कुत्तों को भोजन खिला रही हैं। इसके अलावा बेजुबानों के भोजन की व्यवस्था के लिए कुछ सामाजिक संस्था के साथ ही पुलिस के जवान भी लगे हैं।