मरीज के साथ तीमारदारों में भी अब बढ़ रहा है डिप्रेशन का गंभीर खतरा
वाराणसी में सड़क दुर्घटना या अन्य हादसों में आइसीयू में भर्ती मरीजों के साथ आए परिजनों में बढ़ रहा है डिप्रेशन का खतरा।
वाराणसी (मुकेश चंद्र श्रीवास्तव) : सड़क दुर्घटना या अन्य हादसों के दौरान सिर में गंभीर चोट के बाद मरीज की स्थिति बहुत ही खराब हो जाती है। ऐसी स्थिति में आपरेशन और आइसीयू की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है। एक ओर जहां मरीज जिंदगी-मौत से जंग लड़ता रहता है वहीं उनके परिजन भी कम परेशान नहीं होते। आइसीयू के बाहर इंतजार करने वाले परिजन भी डिप्रेशन में चले जाते हैं। साथ ही उनको मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है। इसका ट्रामा सेंटर बीएचयू की ट्रामा को-आर्डिनेटर रजनी शर्मा ने 'मस्तिष्क चोट से पीड़ित मरीज के परिजनों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव' विषय पर शोध किया है। शोध में यह भी पता चला है कि ऐसी स्थिति में पति-पत्नी या बच्चों से अधिक माता-पिता परेशान रहते हैं।
'द नेशनल मेडिकल जर्नल आफ इंडिया में' में प्रकाशित शोध के अनुसार रजनी शर्मा ने 60 लोगों पर अध्ययन किया, जिनमें तनाव, चिंता के साथ ही अवसाद की भी शिकायत मिली। शोध में पाया गया कि 15 प्रतिशत परिजन ही सामान्य स्थिति में थे। वहीं 21 प्रतिशत का तनाव अधिक था। इसके अलावा 32 प्रतिशत ऐसे परिजन थे जिनकी स्थिति काफी गंभीर थी। यह भी पाया गया कि भर्ती मरीजों की देखभाल में पुरुष के मुकाबले महिलाएं अधिक थी। इसमें 40 प्रतिशत मरीज के पति/ पत्नी, 25 फीसद माता-पिता, 20 फीसद भाई-बहन व 15 फीसद अन्य परिचित थे। रजनी ने बताया कि मरीज पर जो आइसीयू में भर्ती मरीजों के परिजनों को भी अपने स्वास्थ्य के बारे में अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। ताकि वे मरीज की उचित देखभाल कर सकें। ऐसे में उनको घबराना नहीं बल्कि धैर्य से काम लेना चाहिए। परिजन को अपने खान-पान भी खास ध्यान देना चाहिए, जिसके लिए उनको व्यायाम करना जरूरी होता है। कारण कि आइसीयू में भर्ती मरीज को सबसे अधिक देखभाल की जरूरत पड़ती है। ऐसे में उनको भी स्वस्थ रहना चाहिए।