काशी के ललिता घाट पर बिखरा संस्कृतियों का लालित्य, विराजमान हैं पशुपतिनाथ
काशी के प्रमुख घाटों में एक ललिता घाट पर नेपाल की झलक नजर आएगी। गंगा तट पर पशुपतिनाथ विराजमान तो पास में ही काशी विश्वनाथ का स्थान।
वाराणसी, जेएनएन। काशी के प्रमुख घाटों में एक ललिता घाट पर नेपाल की झलक नजर आएगी। गंगा तट पर पशुपतिनाथ विराजमान तो पास में ही काशी विश्वनाथ का स्थान। इस लिहाज से दस विद्याओं में शामिल पार्वती अवतार मां ललिता गौरी को समर्पित इस घाट का मान और भी बढ़ जाता है।
घाट की सीढिय़ों से उपर चढ़ते ही प्रसिद्ध नेपाली मंदिर और ललिता गौरी दरबार है। विशिष्ट काठमांडू-शैली में लकड़ी से बने अनूठे काठ के मंदिर में पशुपतेश्वर महादेव विराजमान हैैं। मंदिर की शृंंगारिक नक्काशी आकर्षित करती है। इस घाट पर गंगतित्य, काशी देवी, ललिता देवी और भगीरथ तीर्थ के भी मंदिर हैैं।
नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने 19वीं सदी केआरंभ इस घाट का निर्माण कराया। वर्ष 1800 से 1804 तक काशी प्रवास के दौरान उन्होंने पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने का निर्णय लिया। बाद में उनके पुत्र गिरवन युद्ध विक्रम शाह देव ने नेपाली मंदिर, धर्मशाला और ललिता घाट का निर्माण कराया, इसे पूरा होने में दो दशक का समय लगा। मंदिर की देखरेख और संरक्षण अभी नेपाल सरकार के पास है। काशी और नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में पूजन-अर्चन अभी भी नेपाली समुदाय के लोग ही समान परंपरानुसार करते हैं।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना के तहत ललिता घाट से मणिकर्णिकाघाट तक गंगा तट तक कॉरिडोर बनाया जा रहा है। गंगा तट की ओर से ललिता घाट कॉरिडोर का प्रमुख प्रवेश द्वार होगा। इसके सामने गंगा में 15 मीटर तक जेटी बनाई जाएगी। यहां सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्लेटफार्म भी बनाया जा रहा है। ऐसे में ऐतिहासिक घाट और भी भव्य-दिव्य नजर आएगा।