दिल्ली से ई-रिक्शा पर पूरा परिवार लेकर बिहार के लिए निकला पप्पू, पूछा हाल तो निकल गए आंसू
दिल्ली से नौ दिन पूर्व ई-रिक्शा पर पूरा परिवार लेकर बिहार के लिए निकले पप्पू यादव सोमवार को वाराणसी के खजुरी के पास हाइवे के एनएच 2 पर पहंचे। इस दौरान उन्होंने अपना दर्द बयां किया।
वाराणसी, [शैलेंद्र सिंह 'पिंटू']। साहब, किस्मत का क्या दोष दे। बीबी-बच्चे की खातिर दिल मे बड़े अरमान लेकर परदेस कमाने गया था। ई-रिक्शा चला छोटे भाई व परिवार का पेट भर रहा था। सोचा भी नहीं था कि ऐसा समय आएगा। जेब व पेट दोनों खाली होगा और वापस घर लौटना पड़ेगा। देश में कोरोना वायरस ने लॉकडाउन लाकर रोजी-रोटी को इस कदर 'लॉक' कर कहर बरपाया कि आखिर जिंदगी बचाने के लिए मजबूरन प्रवासी श्रमिकों को गांव के मांटी की याद आई और घर लौटना पड़ा।
गांव में ही ई-रिक्शा चला पेट पाल लेंगे, पर परदेस नही जाएंगे
एक ऐसा ही दृश्य सोमवार की सुबह खजुरी के पास हाइवे के एनएच 2 पर देखने को मिला। दिल्ली से नौ दिन पूर्व ई-रिक्शा पर पूरा परिवार लेकर बिहार के सेतपुरा जाने के लिए निकले पप्पू यादव व मन्नू यादव नामक सगे भाई मिले। ई-रिक्शा सवार दोनों भाई अपना दर्द बयां करते-करते रो पड़े। ई-रिक्शा को छोटा भाई पप्पू चला रहा था, बड़ा भाई मन्नू अपनी पत्नी व मासूम बच्चे संग पीछे बैठा रहा। बताया कि दो वर्ष से दिल्ली में खुद का ई-रिक्शा चला रहे थे। कोरोना के चलते ऐसा दिन आ गया कि घर पर फोन कर खाने के लिए बैंक खाते में पैसे मंगाने पड़े। लॉकडाउन में छूट मिलते ही हिम्मत जुटा कर छोटे भाई, पत्नी जूली व मासूम बच्चे संग ई-रिक्शा लेकर घर के लिए निकल पड़ा। अब गांव में ही ई-रिक्शा चला पेट पाल लेंगे, पर परदेस नही जाएंगे।
अब तो बस अपना घर ही नजर आ रहा है
धूप व बारिश से बचने के लिए ई-रिक्शा के दोनों गेट पर बोरे का पर्दा लटकाया हुआ था। रिक्शा के अंदर ही गृहस्थी का सारा सामान, गैस चूल्हा व पानी भरा जरकिन रखा था। प्रवासी की दर्द भरी पीड़ा सुन उधर से गुजर रहे समाजसेवी व दंत चिकित्सक ड़ा. एम मुस्तफा ने मासूम बच्चे को दूध खरीदने के लिए भाइयों को आर्थिक मदद दी। भाइयों ने बताया कि रास्ते मे थोड़ा बहुत कुछ बनाकर खा लेते थे। किसी से मदद मांग रिक्शे की बैटरी भी चार्ज कराते रहे। अब तो बस अपना घर ही नजर आ रहा है।