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वाराणसी के संकट मोचन मंदिर परिसर में शीघ्र ही नया रूप लेगा पंपा सरोवर, सौ साल प्राचीन जीर्णशीर्ण तालाब का पुनरुद्धार

गोस्वामी तुलसी द्वारा स्थापित रामलीला का बाली वध प्रसंग अभिनीत करने के लिए वाराणसी के पंपा सरोवर की खोदाई मंदिर परिसर में की गई थी। कालांतर में यह कच्चा तालाब जीर्णशीर्ण हो गया। कालांतर में यह कच्चा तालाब जीर्णशीर्ण हो गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 09:10 AM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 09:10 AM (IST)
वाराणसी के संकट मोचन मंदिर परिसर में शीघ्र ही नया रूप लेगा पंपा सरोवर, सौ साल प्राचीन जीर्णशीर्ण तालाब का पुनरुद्धार
संकट मोचन मंदिर परिसर के पश्चिम दिशा में स्थित पम्पा सरोवर के दिन बहुरने वाले हैं।

वाराणसी [राजेश त्रिपाठी]। संकट मोचन मंदिर परिसर के पश्चिम दिशा में स्थित पम्पा सरोवर के दिन बहुरने वाले हैं। जीर्णशीर्ण हालात में पड़े इस एक सौ वर्ष पूर्व सरोवर के पुनरुद्धार का बीड़ा मंदिर के महंत प्रो.विश्वम्भरनाथ मिश्र ने उठाया। उन्होंने इसके निमित्त कार्य का आरंभ स्वयं फरसा चलाकर किया।

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महंत प्रो. मिश्र ने बताया कि यह सरोवर एक सौ वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने खोदवाया था। श्रीरामचरितमानस की कथा के अनुसार पंपा सरोवर के पास ही हनुमान जी को प्रथम बार भगवान श्रीराम के दर्शन उस हुए थे जब वे माता सीता को खोजते किष्किंधा जा रहे थे। ऋष्यमूक पर्वत के पास स्थित इस सरोवर के पास ही हनुमान जी ने ब्राह्मण के वेश में अपने आराध्य श्रीराम का प्रथम बार दर्शन किया था। गोस्वामी तुलसी द्वारा स्थापित रामलीला का बालि वध प्रसंग अभिनीत करने के लिए इस तालाब की खोदाई मंदिर परिसर में की गई थी। कालांतर में यह कच्चा तालाब जीर्णशीर्ण हो गया। आज भी बालि वध प्रसंग की रामलीला संकट मोचन मंदिर परिसर में ही होती है। महंत प्रो. मिश्र ने बताया कि यह कार्य कठिन तो है लेकिन मंदिर के प्रयास व हनुमान जी की कृपा से यह अच्छे रूप में दिखाई पड़ने लगेगा। गौरतलब है कि संकट मोचन मंदिर परिसर को मुख्य द्वार से लगायत सुंदर पार्क का निर्माण कार्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इसका निर्माण लॉक डाउन की अवधि में पिछले वर्ष ही किया गया।

वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में से एक  संकट मोचन मंदिर

वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में से एक संकट मोचन मंदिर के प्रति लोगों की जबरदस्त आस्था है। हर मंगलवार- शनिवार को यहां जबरदस्त भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर का कई पौराणिक ग्रंथों में काफी सुंदर वर्णन मिलता है। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को देखकर ऐसा आभास होता है जेसै साक्षात हनुमान जी विराजमान हैं। यह वही मंदिर है जहां विश्व प्रसिद्ध संकट मोचन संगीत समारोह का आयोजन होता है। इस संगीत समारोह की अपनी ख्याति है।

दुनिया भर के संगीत प्रेमियों को इसका इंतजार रहता है। देश भर के कलाकार समारोह में इसमें हाजिरी लगाते हैं। इस संगीत समारोह का आयजोन हर वर्ष अप्रैल माह में होता है। गोस्वामी तुलसी दास द्वारा स्थापित संकट मोचन मंदिर में संगीत समारोह की शुरुआत स्वयं स्वामी गोस्वामी तुलसी दास ने 471 साल पहले की थी लेकिन तब मंदिर परिसर में रामलीला और रामायण का पाठ ही होता था। बढ़ते वक्त के साथ आयोजन भी बदलता गया।


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