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बीएचयू की परीक्षा में पद्मिनी का जौहर, हलाला और तलाक!

जागरण संवाददाता, वाराणसी: बीएचयू में इन दिनों कई विषयों की सेमेस्टर परीक्षा चल रही है। विद्य

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Dec 2017 09:27 PM (IST)Updated: Sun, 10 Dec 2017 09:27 PM (IST)
बीएचयू की परीक्षा में पद्मिनी का जौहर, हलाला और तलाक!
बीएचयू की परीक्षा में पद्मिनी का जौहर, हलाला और तलाक!

जागरण संवाददाता, वाराणसी: बीएचयू में इन दिनों कई विषयों की सेमेस्टर परीक्षा चल रही है। विद्यार्थियों के अनुसार इस बार ऐसे प्रश्न पूछे गए हैं जो पाठ्यक्रम में पढ़ाए ही नहीं गए। इस बार प्रश्नपत्र बनाने वालों ने परंपरा से हटकर सवाल पूछ कर परीक्षार्थियों को हैरत में डाल दिया है। रविवार को एमए थर्ड सेमेस्टर की परीक्षा में मध्यकाल में समाज और संस्कृति का प्रश्नपत्र था। इसमें 10 नंबर का एक प्रश्न पूछा गया कि मध्यकाल में रानी पद्मावती का जौहर क्या परंपरा थी? अलाउद्दीन खिलजी के काल में रानी पद्मावती द्वारा किए गए जौहर का वर्णन कीजिए? प्रश्न ने परीक्षार्थियों को हैरत में डाल दिया। वहीं इससे कुछ दिन पहले राजनीतिशास्त्र की परीक्षा में भी प्रश्न आया था कि जीएसटी कौटिल्य के अर्थशास्त्र का अंग था। उससे पहले इतिहास के एक प्रश्नपत्र में पूछा गया था कि क्या इस्लाम के सामाजिक दुश्मन हैं तलाक और हलाला।

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-खास विचारधारा थोपने की कोशिश

इस बारे में कुछ छात्रों का कहना है कि ऐसे प्रश्नों व शिक्षा के जरिए विवि प्रशासन एक खास तरह की विचारधारा विद्यार्थियों पर थोपना चाह रहा है। छात्र विकास का कहना है कि विश्वविद्यालय में जो लोग प्रश्नपत्र बनाने से जुड़े हैं उन्हें कुछ सोच समझकर सवाल तैयार करने चाहिए। इससे कुछ वर्ग के लोगों की भावना आहत हो सकती है। हालांकि, बीएचयू के इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. राजीव श्रीवास्तव इन प्रश्नों को गलत नहीं मानते।

- किसी कोण से गलत नहीं हैं प्रश्न

प्रोफेसर डा. राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि ये प्रश्न किसी कोण से गलत नहीं हैं। जब विद्यार्थियों को इस संबध में पढ़ाया नहीं जाएगा तो वे कैसे इसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। कहा कि जब छात्रों को मध्ययुगीन भारत के समाज व संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाएगा तो यह चीजें खुद पाठ्यक्रम का हिस्सा बन जाती हैं। इतिहास से अगर किसी प्रकार की छेड़छाड़ हुई है तो हम अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि छात्रों को असल इतिहास से अवगत और परिचित कराएं। इसी के मद्देनजर काफी शोध कार्य चल रहे हैं। जिसमें हो सकता है कुछ और नये तथ्य सामने आएं। कहा कि मध्यकाल में दरबारी वही लिखता था जो उसके आका को पसंद आता था। उस समय ऐसी कसौटी नहीं थी कि हर तथ्य को सच्चाई पर नाप-तौलकर लिखा जाए।


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