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पद्म पुरस्‍कार 2022 : वाराणसी की छह विभूतियों को पद्म पुरस्कार, एक पद्म विभूषण, एक पद्म भूषण और चार पद्मश्री सम्‍मान

पद्म पुरस्‍कार 2022 भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। इनमें वाराणसी के छह नामों का चयन किया गया है। इन पुरस्‍काराें में एक पद्म विभूषण एक पद्म भूषण और चार पद्मश्री सम्‍मान की घोषणा की गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 12:34 PM (IST)
पद्म पुरस्‍कार 2022 : वाराणसी की छह विभूतियों को पद्म पुरस्कार, एक पद्म विभूषण, एक पद्म भूषण और चार पद्मश्री सम्‍मान
वाराणसी की छह विभूतियों को पद्म पुरस्कार देने की घोषणा की गई।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। इनमें वाराणसी के छह नामों का चयन किया गया है। गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष और सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा गया। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति व न्याय शास्त्र के विद्वान प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी को पद्म भूषण  सम्मान देने की घोषणा हुई है। वहीं, 125 वर्षीय योग गुरु शिवानंद स्वामी, बनारस घराने के ख्यात सितार वादक पं. शिवनाथ मिश्रा, बीएचयू के मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर डा. कमलाकर त्रिपाठी को पद्मश्री और जानी मानी कजरी गायिका अजीता श्रीवास्तव को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है।

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गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका के पिता सीताराम खेमका मूलत: बिहार के मुंगेर जिले से वाराणसी आए थे। दो पीढिय़ों तक काशी निवासी रहे खेमका ने अप्रैल 2021 में 87 वर्ष की अवस्था में केदारघाट स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली थी। बीएचयू से पढ़ाई करने के बाद करीब 40 वर्षों तक गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए अनेक धार्मिक पत्रिकाओं का संपादन किया। इनमें कल्याण प्रमुख है। वह वाराणसी की प्रसिद्ध संस्थाओं मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल गोदौलिया, बिड़ला अस्पताल मछोदरी, काशी गोशाला ट्रस्ट से भी जुड़े रहे।

81 वर्ष की अवस्था में प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी आज भी नि:स्वार्थ ज्ञान-दान में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं राष्ट्र गौरव भी है। उन्होंने संस्कृत को प्रारंभिक कक्षाओं से अनिवार्य करने और इसे रोजगारपरक बनाने की जरूरत बताई। वहीं, डा. कमलाकर त्रिपाठी ने कहा कि अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी और निस्वार्थ भाव से निभाया जाए तो काम को पहचान जरूर मिलती है। 125 वर्ष की अवस्था में भी संयमित दिनचर्या और योग-प्राणायाम के दम पर पूरी तरह स्वस्थ स्वामी शिवानंद सरस्वती कबीर नगर स्थित आश्रम में रहते हैैं। आठ अगस्त 1896 को बांग्लादेश के सिलहट जिले के हरीपुर गांव में जन्मे शिवानंद कोरोना काल में भी पूरी तरह स्वस्थ रहे। सितारवादक पं. शिवनाथ मिश्र ने पद्म पुरस्कार मिलने पर कहा कि यह मेरा नहीं, अपितु शास्त्रीय संगीत का सम्मान है। यह बनारस और कलाकारों का सम्मान है। बनारस में पैदा हुईं और मीरजापुर स्थित आर्य कन्या इंटर कालेज में प्रवक्ता अजीता श्रीवास्तव करीब चार दशक से लोक संगीत के क्षेत्र में साधनारत हैैं। कजरी गायिका के क्षेत्र में अलग पहचान बनाने वाली अजीता अभी तक हजारों बच्चों को संगीत की शिक्षा दे चुकी हैैं।


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