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राष्‍ट्रपति भवन में मिले पद्म पुरस्‍कार, संगीत और खेल में पुरस्‍कार से काशी में उत्‍साह

पूर्व में जीआइ विशेषज्ञ रजनीकांत को पद्म पुरस्‍कार दिया गया था अगली कड़ी में शनिवार को शेष चयनित लोगों को पद्म पुरस्‍कार राष्‍ट्रपति रामनाथ काेविंद ने प्रदान किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 03:17 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 05:48 PM (IST)
राष्‍ट्रपति भवन में मिले पद्म पुरस्‍कार, संगीत और खेल में पुरस्‍कार से काशी में उत्‍साह
राष्‍ट्रपति भवन में मिले पद्म पुरस्‍कार, संगीत और खेल में पुरस्‍कार से काशी में उत्‍साह

वाराणसी, जेएनएन। बीते 11 मार्च को राष्‍ट्रपति भवन में जीआइ विशेषज्ञ रजनीकांत को पद्म पुरस्‍कार दिया गया था। अगली कड़ी में शनिवार को शेष चयनित लोगों को पद्म पुरस्‍कार राष्‍ट्रपति रामनाथ काेविंद ने प्रदान किया। इसमें डा. राजेश्वर आचार्य भी शामिल हैं जो बीएचयू में हिंदी विभागाध्यक्ष रहे पं. पद्मनारायण आचार्य के पुत्र राजेश्वर आचार्य खुद भी गोरखपुर विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट एंड म्यूजिक के हेड रह चुके हैं। डा. आचार्य ने महान संगीतज्ञ बलवंत राय भट्ट व पं. ओंकारनाथ ठाकुर के सानिध्य में संगीत साधना की। ध्रुपद गायकी के साथ ही जलतरंग वादन में भी उनका कोई सानी नहीं है। उन्होंने 1972 में लगातार साढ़े बारह घंटे जलतरंग वादन कर तो इसके ठीक एक साल के अंतराल पर 13 घंटे लगातार गायन का दोहरा विश्व रिकार्ड बनाया। अखिल भारतीय ध्रुपद मेला, संगीत संस्कृति संगम, नाट्यानुशीलन, इंटरनेशनल आर्टन, सार्वभौम ध्रुपद विद्यापीठ, अभिवादन समेत देश भर में कई सांगीतिक संस्थाओं की इन्होंने स्थापना भी की। बैजू बावरा व पं. ओंकारनाथ ठाकुर अवार्ड समेत 26 सम्मानों से उन्हें नवाजा जा चुका है। 

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वहीं आयोजन के दौरान प्रशांति सिंह को भी बास्केटबाल की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने के लिए पद्म पुरस्‍कार दिया गया। सिंह सिस्टर्स के नाम से बास्केटबॉल की दुनिया में मशहूर चारों सगी बहनेंं (दिव्या सिंह, प्रशांति सिंह, आकांक्षा सिंह व प्रतिमा सिंह चारों अंतरराष्ट्रीय बास्केटबाल खिलाड़ी)। इन बहनों को बास्केटबॉल की दुनिया में लाने वाली प्रियंका सिंह इन दिनों दक्षिण कोरिया में बतौर बास्केटबॉल कोच कार्यरत हैं। पिता गौरीशंकर सिंह और मां उर्मिला सिंह ने शुरू में कुछ टोका-टाकी कि लेकिन इन बहनों की लगन देकर उनको हर कदम पर प्रोत्साहित किया। भाई विक्रांत सिंह फुटबॉल का जाना-माना खिलाड़ी हैं।  

हीरालाल यादव काशी में लोक गायन के स्‍तंभ हैं। लोकगायन की बिरहा विधा के सम्राट माने जाने वाले हीरालाल यादव का नाम इस बिसरती कला को आसमान देने के लिए लिया जाता है। काशी में हरहुआ ब्लाक के बेलवरिया निवासी हीरालाल यादव का जन्म वर्ष 1936 में चेतगंज स्थित सरायगोवर्धन में हुआ। बचपन गरीबी में गुजरा, भैंस चराने के दौरान शौकिया गाते-गाते अपनी सशक्त गायिकी से बिरहा को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई और बिरहा सम्राट के रूप में ख्यात हुए। यह कठोर स्वर साधना का प्रतिफल तो रहा ही गुरु रम्मन दास, होरी व गाटर खलीफा जैसे गुरुओं का आशीर्वाद रहा। उन्होंने वर्ष 1962 से आकाशवाणी व दूरदर्शन पर बिरहा के शौकीनों को दीवाना बनाया। उन्‍होंने स्रोताओं ओ भक्ति रस में पगे लोकगीत और कजरी पर खूब झुमाया। 


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