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वाराणसी से मिली पूर्वांचल को विकास की रफ्तार, अब सफर में वक्त बचेगा तो ईंधन की खपत भी होगी कम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को सड़कों का लोकार्पण कर पूर्वांचल के विकास को रफ्तार दी है। रोजगार के नए अवसर खुलेंगे तो प्रयागराज लखनऊ से बिहार तक कारोबार को संजीवनी मिलेगी। फोरलेन से एक तो वक्त बचेगा तो दूसरे ईंधन की खपत भी कम होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 09:51 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 09:51 PM (IST)
वाराणसी से मिली पूर्वांचल को विकास की रफ्तार, अब सफर में वक्त बचेगा तो ईंधन की खपत भी होगी कम
उद्घाटन के बाद रिंग रोड फेज2 पर आवागमन शुरु, चलने लगे वाहन।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को सड़कों का लोकार्पण कर पूर्वांचल के विकास को रफ्तार दी है। रोजगार के नए अवसर खुलेंगे तो प्रयागराज, लखनऊ से बिहार तक कारोबार को संजीवनी मिलेगी। वहीं, एक जिले से दूसरे जिले या यूं कहें कि नेपाल तक का सफर आसान हो गया। फोरलेन से एक तो वक्त बचेगा तो दूसरे ईंधन की खपत भी कम होगी।

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प्रधानमंत्री ने राजातालाब के मेंहदीगंज से पांच हजार करोड़ की परियोजना का लोकार्पण किया गया है। सड़क से घाट, गंगा, वरुणा की साफ सफाई, पुल पार्किंग, बीएचयू की परियोजना त्योहारों के मौसम में जीवन को सुगम बनाएगा। इस परिकल्पना को साकार होने पर पीएम मोदी ने कहा कि काशी के विकास पर्व को देश को ऊर्जा और विश्वास देने वाला है। रिंग रोड बनने से कहीं भी आना जाना हो तो शहर वालों को परेशान करने की जरूरत नहीं। गाजीपुर तक जुड़ गई है। काशी को केंद्रित कर प्रयागराज, लखनऊ, बिहार तक कारोबार को गति मिलेगी। कहा कि देश में एक समर्पित इंफ्रास्ट्रक्चर न हो तो विकास की गति सुस्त रहती है। अब एयरपोर्ट आने वालों को कालीन बनाने वालों को, विंध्याचल दर्शन करने वालों की सुविधा होगी। पीएम मोदी ने 3509.14 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित वाराणसी से विरनो गाजीपुर तक 72.15 किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण, 19.14 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित बाबतपुर-कपसेठी-भदोही मार्ग पर स्थित वरुणा नदी के कालिकाधाम पुल निर्माण व 18.66 करोड़ की लागत से वाराणसी छावनी से पड़ाव तक 6.015 किलोमीटर सड़क चौड़ीकरण कार्य का लोकार्पण किया।

पूर्वांचल के किसानों को सुविधा

काशी व पूर्वांचल के किसानों के लिए सुविधा विकसित हुई है। पैकेजिंग प्रोसेसिंग और पेरिशेबल कार्गो बना है। उससे किसानों को सुविधा मिलेगी। सीएनजी प्लांट से खाद भी किसानों को मिलेगी। 8.22 करोड़ खर्च कर लालबहादुर शास्त्री फल व सब्जी मंडी पहडिय़ा के नवीनीकरण का कार्य हुआ है। मंडी में माल की बिक्री का दो तरीका बनाया गया है। एक तो पारंपरिक तरीका, जिसमे व्यापारी अपना माल किसी फार्म को बेचेगा। दूसरा किसान मंडी समिति से संपर्क करके अपना माल ई-नाम के तहत बेचने को कहेगा। जैसे ही मंडी समिति किसान का विवरण अपने सिस्टम में अपलोड करेगी, वैसे ही किसान ई-नाम के तहत पंजीकृत ही जाएगा। किसान के माल की ग्रेडिंग करने के बाद मंडी समिति उसे सार्टिफिकेट जारी कर देती है। इसके बाद शुरू होती है बिडिंग की प्रक्रिया। बिडिंग में पूरे देश की यूनिफाइड लाइसेंस धारक व्यपारी बोली लगते है। बोली लगने के बाद मंडी स्तर से किसान को उनके उत्पाद का भाव बताया जाता है। यदि किसान राजी होता है तो उत्पाद का सर्वोच्च भाव लगाने वाले व्यापारी को माल बेच दिया जाता है। अगर किसान माल बेचने को तैयार नहीं है तो उसे कोई बाध्यता नहीं होती है। पूरी प्रक्रिया में लेनदेन डिजिटल माध्यम से ही होगा। ई-नाम योजना के तहत किसानों के केवल प्राथमिक उत्पादों को ही बेचा जा सकता है।

औद्योगिक आस्थान का विकास

पूर्वांचल के लिए काशी ही थोक बाजार है। यहां पर मंडियां हैं तो औद्योगिक आस्थान है जहां से पूर्वांचल पर के दुकानदार माल ले जाते है और कारोबार करते हैं। औद्योगिक अस्थान चांदपुर में आंतरिक अवस्थापना विकास कार्य किया गया है। इस पर 10.85 करोड़ रुपये रुपये खर्च हुए हैं।


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