Lockdown में मालिक और ठीकेदार ने दिया धोखा तो सामान बेचकर घर वापसी के लिए खरीदी साइकिल
वाराणसी में मालिक और ठीकेदारों ने लॉकडाउन के दौरान हाथ खड़े कर दिए तो प्रवासी मजदूर परेशान हो उठे। किसी ने शौक के सामान बेच वापसी के लिए पुरानी साइकिलें खरीदीं।
वाराणसी, [रवि पांडेय ]। प्रवासी मजदूर जिनके लिए जी-जान लगाकर काम करते थे उन्हीं मालिक और ठीकेदारों ने कोरोना महामारी में रंग बदल लिए। मजदूरों को धोखा मिला तो किसी ने शौक के सामान बेच वापसी के लिए पुरानी साइकिलें खरीदीं। किसी तरह लौटे प्रवासी अब सूखी रोटी खाकर वापस न जाने का संकल्प ले रहे हैं।
जगरनाथपुर झारखंड के रहने वाले तीन युवक कोनाई बोपई, रोइया लखोरी, रोइया टेरिया कर्नाटक की कंस्ट्रक्शन कंपनी में थे। लॉकडाउन के बाद ठीकेदार भाग गया। धीरे-धीरे पैसे समाप्त हो गए। तब तीनों ने घर वापसी का संकल्प लिया, लेकिन न पैसे व साधन।
ऐसे में दो मोबाइल चार हजार में बेच दो पुरानी साइकिल 7 हजार में खरीदीं। रास्ते में हवा भरने व पंचर बनाने को 700 रुपये में पंप और सामान खरीदा। हफ्तेभर के सफर ने आंखें लाल व शरीर काला कर दिया। रास्ते में संस्थाओं व प्रशासन से नाश्ता-पानी मिला तो कुछ जेब से खर्च कर बनारस तक आए। हाल सुनाते हुए भावुक तीनों युवक आगे बढ़ गए।
भूखों मरने से अच्छा घर की सूखी रोटी
गांधी नगर-गुजरात की स्टील कंपनी में कार्यरत दो युवक पनौली-घोरावल सोनभद्र के सूर्य प्रकाश व सेमरा राजगढ़ के अजय स्टील कंपनी में काम करते थे। मालिक ने पैसे नहीं दिए और न ही खाने की व्यवस्था की। तब वापसी की योजना बनाई। एमपी, यूपी व बिहार के कर्मचारियों ने बस वाले से बात कर तीन दिन पहले रात में निकले। बताया कि 4500 रुपये एक आदमी का किराया लेने के बाद भी बस वाले प्रशासन का डर दिखा वाराणसी की सीमा में छोड़ कर भाग गए। युवकों ने घरवालों को फोन कर टेंगरा मोड़ बुलाया और वहां तक पैदल गए। दोनों ने कहा कि भूखों मरने से अच्छा घर की सूखी रोटी। अब वापस नहीं जाएंगे।
अब पैदल जाएंगे झारखंड
गोधरा-गुजरात की स्टील कंपनी में काम करने वाले छतरपुर-झारखंड के प्रकाश कुमार, प्रवीण, महेंद्र गुजरात से बस से जबलपुर व वहां से वाराणसी ट्रेन से आए। फिर बस से इन्हें बाइपास छोड़ दिया गया। पैदल जा रहे युवकों ने कहा कि लॉकडाउन में पगार न देकर मालिक ने खुराकी के नाम पर दो-दो हजार काटकर हिसाब कर दिया।