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वाराणसी में ब्लैक फंगस के 270 मरीजों में सिर्फ 56 ही डिस्चार्ज, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व योग का सुझाव दे रहे विशेषज्ञ

वैश्विक महामारी कोरोना ने दूसरी लहर में जमकर तबाही मचाई। कोरोना की लहर थमने के बाद इसका कहर साइड इफेक्ट के रूप में ब्लैक फंगस बनकर अभी तक मरीजों पर टूट रहा है। सर सुंदरलाल अस्पताल में आए 270 में से मात्र 56 मरीज ही डिस्चार्ज हो पाए हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 08:50 AM (IST)
वाराणसी में ब्लैक फंगस के 270 मरीजों में सिर्फ 56 ही डिस्चार्ज, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व योग का सुझाव दे रहे विशेषज्ञ
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में आए 270 में से अभी तक मात्र 56 मरीज ही डिस्चार्ज हो पाए हैं।

वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव। वैश्विक महामारी कोरोना ने दूसरी लहर में जमकर तबाही मचाई। कोरोना की लहर थमने के बाद इसका कहर साइड इफेक्ट के रूप में ब्लैक फंगस बनकर अभी तक मरीजों पर टूट रहा है। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में आए 270 में से अभी तक मात्र 56 मरीज ही डिस्चार्ज हो पाए हैं। इससे भी खतरे के बात है कि कोरोना की तीसरी लहर की सुगबुगाहट तेज हो गई है। ऐसे में सबसे अधिक उन्हें सावधान रहने की जरूरत है जिन्हें शुगर की शिकायत है और या प्रतिरोधक क्षमता कम है। यानी कुल मिलाकर मधुमेह को हरहाल में नियंत्रण रखना होगा वरना आप सीधे तौर पर इस घातक बीमारी ब्लैक फंगस को आमंत्रित कर देंगे।

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अप्रैल माह में कोरोना हाहाकार मचा रहा था। उसी के करीब एक माह बाद मई के दूसरे सप्ताह में बीएचयू में ब्लैक फंगस के मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। उस समय तो एक दिन में तीन से पांच तक नए मरीज मरीज यहां आ रहे थे। कारण कि कुछ दिन पहले ही कोरोना के कारण वे अधिक मात्रा में स्टेरायड, रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन का सेवन या अधिक दिन तक वेंटिलेटर पर रहे। कोरोना मई के दूसरे सप्ताह से ही कोरोना के मामले कम होने शुरू हो गए और जून तक स्थिति काफी हद तक सुधर गई। इसका नतीजा एक माह बाद जुलाई से दिखने लगा है, क्योंकि अब ब्लैक फंगस के भी मरीज भी बहुत कम आ रहे हैं।

ब्लैक फंगस के मरीज सप्ताह में एक-दो ही आने का एक मुख्य कारण वैक्सीनेशन भी बताया जा रहा है। कारण कि काफी हदतक लोगों, खासकर शुगर के मरीजों ने भी कोरोना का टीका लगवा लिया है। एसएस अस्पताल के उप चिकित्सा अधीक्षक एवं ट्रामा सेंटर के पीआई प्रो. सौरभ सिंह बताते हैं कि ब्लैक फंगस के 95 फीसद ऐसे मरीज हैं जिन्होंने कोरोना का टीका नहीं लगवाया था। पांच फीसद वे मरीज हैं जिन्हें टीका लगवाने के कुछ दिन के अंदर ही इस बीमार ने अपनी चपेट में ले लिया था। कारण कि टीका लगने के करीब दो सप्ताह बाद ही शरीर में इम्युनिटी बन पाती है। वहीं शत-प्रतिशत ब्लैक मरीजों में शुगर की समस्या पाई गई है।

चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के ईएनटी विभाग के डा. सुशील कुमार अग्रवाल बताते हैं कि जिन ब्लैक फंगस के मरीजों का नाक व जबड़े के आसपास आपरेशन हुआ है। उनमें दोबारा अापरेशन की समस्या पाई गई है। कारण कि उनमें फिर से फंगस पनप जा रहे हैं। इसके कारण मरीजों को नाक एवं जबड़े की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने बताया कि अब जितने भी शुगर के मरीज हैं उन्हें किसी भी कीमत में नियंत्रण रखना होगा। साथ ही स्टेरायड के लिए अनावश्यक चिकित्सक पर दवाब नहीं कराना चाहिए।

 270 मरीज आ चुके हैं बीएचयू के एसएस अस्पताल में

153 मरीजों का हो चुका है आपनेशन

100 से अधिक मरीजों का दुबारा या तिबारा आपरेशन

 82 मरीजों की मौत हो चुकी है अभी तक बीएचयू में

 56 मरीजों की हो चुकी है छुट्टी आराम मिलने पर


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