गुरुकुल से लैपटॉप तक पहुंची प्राच्य विद्या, कोरोना वायरस के संक्रमण को देख आचार्यों ने बदली राह
वाराणसी में प्राचीनतम प्राच्य विद्या के केंद्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में गुरुकुल पद्धति अब भी कायम है। नए आचार्य परंपरागत राह छोड़कर ऑनलाइन हो गए हैं।
वाराणसी, जेएनएन। प्राचीनतम प्राच्य विद्या के केंद्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में गुरुकुल पद्धति अब भी कायम है। शास्त्री (स्नातक) और आचार्य (स्नातकोत्तर) के विद्यार्थी अब भी दरी पर बैठ गुरु से शिक्षा ग्रहण करते हैं। हालांकि, कोरोना वायरस के संक्रमण ने प्राच्य विद्या की राह बदल दी है। बंदी को देखते हुए विश्वविद्यालय के नए अध्यापक परंपरागत राह छोड़कर ऑनलाइन हो गए हैं। लैपटॉप के माध्यम से विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय के संस्कृत प्रमाणपत्रीय, शास्त्री-आचार्य व पीएचडी में म्यांमार, स्पेन, थाईलैंड, इटली, नेपाल, भूटान के 96 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, राजस्थान व महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी भी विभिन्न कक्षाओं में अध्ययनरत हैं। दो अप्रैल तक पठन-पाठन स्थगित होने से इनमें ज्यादातर विद्यार्थी घर जा चुके हैं। इसे देखते हुए संस्कृत विद्या विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. रविशंकर पांडेय घर बैठे विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। आवास पर इंटरनेट के लिए लगवाए गए राउटर का उपयोग विद्यार्थियों को पढ़ाने में कर रहे हैं।
दो घंटे की ऑनलाइन क्लास
वह दो घंटे ऑनलाइन रहते हैं। इस दौरान बाकायदा क्लास की तरह विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ होने से विदेशी छात्रों को संस्कृत समझने में काफी सहूलियत होती है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में भी अक्सर लैपटॉप व प्रोजेक्टर से विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं।
इस तरह पढ़ाने में परेशानी नहीं
डा. रविशंकर पांडेय बताते हैं कि संस्कृत विद्या विभाग में ज्यादातर विद्यार्थियों पास लैपटॉप है। विदेशी और सीमांत प्रदेशों के विद्यार्थी तमाम पाठ्य सामग्री लैपटॉप में भी अपलोड किए हैं। ऐसे में ऑनलाइन क्लास से उन्हें परेशानी नहीं है। घर बैठे कोर्स पूरा हो रहा। बताया कि मंगलवार को जापान के गिजो फुकड़ा, मुंबई के अमरचंद, अशोक व शैलेश पाठक को ऑनलाइन पढ़ाया।
विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों की संख्या इस प्रकार
06 प्रमाणपत्रीय
20 शास्त्री
59 आचार्य
11 पीएचडी
96 कुल विदेशी