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काशी अनादि काल से वेद शिक्षा की राजधानी, साप्ताहिक वेबिनार गुरुवारीय अड़ी का आयोजन

भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र की ओर से आयोजित साप्ताहिक वेबिनार गुरुवारीय अड़ी की 24वीं श्रृंखला में गुरुवार को काशी और बटुक विषय पर प्रबुद्धजनों ने चर्चा की। श्रीराम मंदिर गुरुधाम के पीठाधीश्वर जगद्गुरु अनंतानंद डा. रामकमल दास वेदांती ने कहा कि बटुक शिक्षा एक साधना है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 11:00 PM (IST)
काशी अनादि काल से वेद शिक्षा की राजधानी, साप्ताहिक वेबिनार गुरुवारीय अड़ी का आयोजन
गुरुवारीय अड़ी की 24वीं श्रृंखला में गुरुवार को काशी और बटुक विषय पर प्रबुद्धजनों ने चर्चा की।

वाराणसी, जेएनएन। भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र की ओर से आयोजित साप्ताहिक वेबिनार गुरुवारीय अड़ी की 24वीं श्रृंखला में गुरुवार को काशी और बटुक विषय पर प्रबुद्धजनों ने चर्चा की। श्रीराम मंदिर गुरुधाम के पीठाधीश्वर जगद्गुरु अनंतानंद डा. रामकमल दास वेदांती ने कहा कि बटुक शिक्षा एक साधना है जिसमें गृह का त्याग कर शिक्षा प्राप्त करने के लिए निकला हुआ शिक्षार्थी गुरु से वेद, ध्यान, उपनिषद, शास्त्र, संगीत का प्रशिक्षण लेता है। यह शिक्षा आश्रम के कठोर नियम व अनुशासन के अधीन प्राप्त करता है।

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डा. रामकमल दास वेदांती ने कहा कि एक ऐसे व्यक्तित्व को प्राप्त करता है जो भारतीय दर्शन व मनीषा का केंद्र है। आज बटुक परंपरा व पद्धति से अध्ययन किए छात्रों ने पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति व सभ्यता को मूल्यवान तरीके से विस्तारित किया है। बटुक सुनील व राधेश्याम ने मंत्रोचार के साथ ही बटुक जीवन पद्धति पर भी प्रकाश डाला। भगवदाचार्य पीठ भदैनी के पीठाधीश्वर डा. श्रवणदास महाराज ने गीता के श्लोकों का सस्वर पाठ किया। साथ ही आश्रम के छात्र संदीप पांडेय व संजय ने बटुक के रूप में अपनी जीवन शैली पर भी प्रकाश डाला। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने बटुक विषय को महर्षि सांदीपनि के आश्रम पद्धति के साथ जोड़ते हुए कहा कि यहीं से इस परंपरा का प्रारंभ हुआ है। काशी के प्रकांड विद्वान प्रो. रामचंद्र पांडेय ने बटुक शिक्षा को भारतीय शिक्षा की रीढ़ कहा। स्वामी जगदीशवरानंद व डा. बुद्धिनाथ मिश्र ने भी बटुक शिक्षा पद्धति पर विचार रखे और इसे काशी की धरोहर माना। काशी की निवासी छात्रा संदर्शिका मिश्र ने महामृत्युंजय मंत्र का वाचन किया। विषय प्रवर्तन धर्मेंद्र सिंह ने व संयोजन व धन्यवाद ज्ञापन डा. सुनील मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से सतीशचंद्र मिश्रा, नवरतन राठी, सुनीता सिंह, अखिलेश पाठक, विनय सिंह, गणपति यादव, कुणाल पांडेय, विजय गुप्ता, संतोष सोलापुरकर आदि मौजूद थे।


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