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वाराणसी में अग्रसेन पीजी कालेज में अयोग्य शिक्षक़ों से पढ़ाई और भ्रष्टाचार की जांच करने का आदेश

महाविद्यालय में घोर वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार व्याप्त है तथा स्ववित्तपोषित खातों का दुरुपयोग किया जा रहा है। बीकाम की छात्राओं का आरोप है कि कथित शिक्षिकाओं द्वारा एंटरप्रेन्योरशिप आईटी एवं पब्लिक फाइनेंस वाट्सएप ग्रुप और यूट्यूब पर आनलाइन पढ़ाया गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 12:34 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 12:34 PM (IST)
वाराणसी में अग्रसेन पीजी कालेज में अयोग्य शिक्षक़ों से पढ़ाई और भ्रष्टाचार की जांच करने का आदेश
महाविद्यालय में घोर वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार व्याप्त है तथा स्ववित्तपोषित खातों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। प्रदेश सरकार जहां भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति से काम कर रही है। वहीं उच्च शिक्षा की शैक्षणिक गुणवत्ता को लेकर गंभीर है। फर्जी शिक्षक़ों की जांच कर उनके विरुद्ध कार्यवाही भी किया जा रहा है। इस क्रम में विशेष सचिव श्रवण कुमार सिंह ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा निदेशक व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलसचिव से अग्रसेन कन्या पीजी कालेज में अयोग्य शिक्षिकाओं द्वारा शिक्षण कार्य एवं महाविद्यालय में व्यापक स्तर पर वित्तीय अनियमितता तथा व्याप्त भ्रष्टाचार के सम्बंध में जांच कर नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया है ।

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गतसत्र में कुछ अभिभावकों ने अग्रसेन कन्या पीजी कालेज के बीकाम में अयोग्य शिक्षिकाओं से पढ़वाने के मामले में उच्चाधिकारियों सहित राज्यपाल से शिकायत की थी। पत्र में महाविद्यालय में कथित शिक्षिकाओं को उल्लेख करते हुए लिखा है कि प्राचार्य एवं प्रबन्धक के मिली भगत से बिना योग्यता व विश्वविद्यालय के बगैर अनुमोदन के ही वाणिज्य की कक्षाएं संचालित कर रही हैं। यही नहीं स्ववित्तपोषित योजना के तहत नियुक्त तृतीय श्रेणी को बीकाम में पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। महाविद्यालय प्रशासन छात्राओं के भविष्य के साथ खिड़वाड़ कर रहा है।

वहीं महाविद्यालय में घोर वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार व्याप्त है तथा स्ववित्तपोषित खातों का दुरुपयोग किया जा रहा है। बीकाम की छात्राओं का आरोप है कि कथित शिक्षिकाओं द्वारा एंटरप्रेन्योरशिप, आईटी एवं पब्लिक फाइनेंस वाट्सएप ग्रुप और यूट्यूब पर आनलाइन पढ़ाया गया है। उक्त मामले को दैनिक जागरण ने 'डिग्री बीएससी की और पढ़ा रही बीकाम' प्रमुखता से प्रकाशित किया था। हालांकि महाविद्यालय प्रशासन ने उक्त दोनों शिक्षिकाओं को बीकाम पढ़ाने के लिए योग्य होने का दावा किया था। यह प्रकरण करीब एक साल तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा । उसके बाद यह प्रकरण राज्य सूचना आयोग में चला गया और उत्तर प्रदेश सरकार से की गई कार्यवाही की जानकारी मांगे जाने पर उत्तर प्रदेश शासन के का आदेश दे दिया। संयुक्त निदेशक डा. हिरेन्द्र प्रताप सिंह की ओर से जारी पत्र में तथ्यात्मक बिंदुवार जांच आख्या साक्ष्य एवं संस्तुति सहित अविलंब उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।


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