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आजमगढ़ में ओपीडी बंद तो क्या हुआ पेड़ के नीचे कर रहे इलाज, डॉक्टर संजय गुप्ता गरीबों के लिए बने भगवान

सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद होने के बाद डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं लेकिन यहां ताे डॉक्टर संजय गुप्ता के दिल का दवाखाना हर वक्त खुला रहता है।अस्पताल परिसर मेें ही एक पेड़ के नीचे बैठकर दवाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 01:59 AM (IST)
आजमगढ़ में ओपीडी बंद तो क्या हुआ पेड़ के नीचे कर रहे इलाज, डॉक्टर संजय गुप्ता गरीबों के लिए बने भगवान
आजमगढ़ में डॉक्टर संजय गुप्ता का दवाखाना हर वक्त खुला रहता है।

आजमगढ़, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद होने के बाद डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं लेकिन यहां ताे डॉक्टर संजय गुप्ता के दिल का दवाखाना हर वक्त खुला रहता है। वह आने वाले मरीजों को वापस नहीं जाने देते और अस्पताल परिसर मेें ही एक पेड़ के नीचे बैठकर न केवल उनका इलाज कर रहे हैं, बल्कि अस्पताल से दवाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं।

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कोरोना के पलटवार के बाद सरकारी हो या प्राइवेट डॉक्टर, वह मरीजों को देखने को तैयार नहीं हैं। देख भी रहे हैं तो शारीरिक दूरी का पालन करते हुए। मरीज को छूने की जहमत नहीं उठा रहे हैं, लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मार्टीनगंज पर नियुक्त डॉक्टर संजय गुप्ता ओपीडी बंद होने के बावजूद परिसर में ही पेड़ के नीचे करीब 50 मरीजों का इलाज करने के साथ दवाइयां भी वितरित करवा रहे हैं। अस्पताल में दवा के लिए पहुंचे मरीज पप्पू यादव, तारा देवी, भगवंता, शुभम, रामसिंगार, सोहित, नियाज का कहना है कि कोरोना काल में गुप्ता सर हम लोगों के लिए भगवान बने हैं।

अपने कमरे से बाहर निकलकर हम लोगों का इलाज कर रहे हैं। इससे हर उस व्यक्ति को लाभ मिल रहा है जिसके पास इलाज के लिए धन का अभाव है। ऐसे डॉक्टरों से सभी को सीख लेनी चाहिए, क्योंकि उन्हें खुद से ज्यादा हम लोगों की चिंता है। वहीं डॉक्टर गुप्ता का कहना है कि हमारा परम कर्तव्य बनता है कि हम जहां हों लेकिन कोई भी मरीज इलाज के अभाव में परेशान न हो। जितना संभव होगा उतनी सेवा करते रहेंगे। हम तो जो मरीज दवा नहीं खरीद सकते उनको भी दवा देते हैं।

सरकार की हेल्पलाइन मददगार बनने के बजाए मरीजों को हतोत्साहित कर रही

1076 हेल्पलाइन मुश्किल में फंसे लोगों की मददगार नहीं बन पा रही है। शिकायत मिलने पर उसे दर्ज करने व उसका नंबर देने में हीलाहवाली की जा रही है। शिकायत नंबर मांगेने पर मशविरा दिया जा रहा कि विवाद क्यों कर रहे हैं? एक दुकान महंगा दे रहा तो दूसरी दुकान से रेगुलेटर खरीद लीजिए। सरकारी हेल्पलाइन के इस तरह काम करने से लोगों में आक्रोश है। शहर के अठवरिया मैदान के निकट रहने वाले अंशु उपाध्याय ने बताया कि उनके परिवार में एक व्यक्ति बीमार पड़ गए थे। उनका आक्सीजन लेवल कम पड़ता जा रहा था। भागकर अग्रवाल की दुकान पर जा पहुंचे। वहां रेगुलेटर की डिमांड की तो नौ हजार रुपये मांगे गए। दाम सुनकर अंशु की नींद उड़ गई, लेकिन करते भी क्या? 1200 से 1500 के सामान के लिए नौ हजार रुपये देने को तैयार भी हो गए। उस समय दुकान पर भीड़ थी, लिहाजा अपनी बारी का इंतजार करने लगे। लेकिन जब उनकी बारी आई तो दुकानदार ने कहा कि माल तो बिक गया।

उल्टे पांव घर में बीमार पड़े व्यक्ति को देखने पहुंचे तो ईश्वर की कृपा से सब ठीक मिला। गुस्साए अंशु ने सरकारी की हेल्पलाइन 1076 पर कॉल करके अपने साथ हुई ज्यादती से अगवत कराया तो उधर से जवाब मिला कि दूसरी दुकान से आक्सीजन रेगुलेटर खरीद लो। प्रतिरोध करने पर मेरा कंप्लेंट नंबर तक नहीं दिया गया। उसके बाद जिला प्रशासन से लेकर शासत तक में बैठे अधिकारियों को ट्वीट कर जानकारी दी। आरोपित दुकानदार के यहां तो एसडीएम गए थे, शिकायतकर्ता से कोई पूछताछ नहीं की जा सकी है।


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