अब ऑनलाइन लेनी होगी वृक्षों को काटने की अनुमति, छह वर्षोँ में काटे पांच हजार वृक्ष
पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से शासन की ओर से सराहनीय पहल की गई है। अब वृक्षों को काटने की अनुमति ऑनलाइन लेनी होगी।
जौनपुर, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से शासन की ओर से सराहनीय पहल की गई है। अब वृक्षों को काटने की अनुमति ऑनलाइन लेनी होगी। इसके पहले वृक्षों को काटने के लिए अनुमति तो ली जाती थी, लेकिन उसका कोई रिकॉर्ड नहीं रहता था। ऐसे में बड़े पैमाने पर अवैध तरह से वृक्षों को काट दिया जाता था, जो अब नहीं हो सकेगा। वृक्षों की कटाई से न सिर्फ पर्यावरण प्रभावित हो रहा है, बल्कि आम लोगों के जन-जीवन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। विभिन्न चरणों के बाद वृक्षों को काटने की स्वीकृति डीएफओ देंगे। वृक्षों को काटने की वजह के साथ पूरे ब्योरे को अपलोड करना होगा। इसके पहले वृक्षों की कटाई को लेकर नियम इतना सख्त नहीं था, जिसमे अब बदलाव कर दिया गया है। बीते छह वर्षोँ में विकास कार्योँ के लिए छह हजार वृक्ष काट दिए गए। जिस तेजी से वृक्ष काटे गए उतनी संख्या में पौधे रोपे नहीं जा सके। यही वजह है कि सड़कों के किनारे अब वृक्षों की संख्या बेहद कम रह गई है। हालांकि तमाम चुनौतियों के बीच जिले में वृक्षच्छादित क्षेत्र में 16 फीसद इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं आम लोगों के जीवन में जहर घोल रहे प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए वन विभाग 69 लाख पौधों को अपनी विभिन्न नर्सरियों में उगा रहा है।
शासन स्तर पर भी बिगड़ रहे आबोहवा को दुरुस्त करने के लिए मुख्यमंत्री वृक्ष धन योजना की शुरूआत की गई है। प्रत्येक वर्ष वन विभाग की ओर से तीन लाख पौधे लगाए जाते हैं। हालांकि इनमें से 50 से 60 फीसद पौधे ही वृक्ष का रूप ले पाते हैं। इस वर्ष कई गुना अधिक पौधरोपण करने की तैयारी की गई है।
ऑनलाइन सिस्टम से पारदर्शिता बढऩे के साथ वृक्षों को जीवन भी मिलेगा। अनुमति बिना वृक्षों के कटान पर दस हजार रुपये का जुर्माना है। इस वर्ष जुलाई के मौसम में बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया जाएगा। प्रकृति की रक्षा के लिए वृक्षों को बचाना बेहद आवश्यक है।
-एपी पाठक, डीएफओ।