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सितंबर माह के अंतिम दिन बनारस देश में सर्वाधिक Air Pollution वाले शहरों में दूसरे स्थान पर

सितंबर माह के अंतिम दिन बनारस देश में सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले शहरों में दूसरे स्थान पर रहा जबकि पहले स्थान पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का कब्जा बना हुआ है। इसकी वजह से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 08:16 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 09:42 AM (IST)
सितंबर माह के अंतिम दिन बनारस देश में सर्वाधिक Air Pollution वाले शहरों में दूसरे स्थान पर
वायु प्रदूषण के मामले में पहले स्थान पर लखनऊ है।

वाराणसी, जेएनएन। वायु प्रदूषण में विश्व के शीर्ष प्रदूषित शहरों में शुमार काशी सितंबर माह के अंतिम दिन देश का दूसरा प्रदूषित शहर रहा। जबकि इस मामले में लखनऊ पहले स्थान पर रहा। 30 सितंबर 2020 को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ो के मुताबिक वाराणसी शहर की हवा 'खराब' स्तर एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक या एयर क्वालिटी इंडेक्स) 256 पर पहुंच गई है। जिसमें पार्टिकुलेट मैटर-400 सबसे अधिक पाया गया। वहीं देश में सितंबर माह के अंतिम दिन पहले स्थान पर सूबे की राजधानी लखनऊ सबसे प्रदूषित शहर रहा।

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इस बाबत सामाजिक संस्था केयर फॉर एयर संस्‍था ने एक रिपोर्ट भी जारी की। इस बाबत बताया कि कोविड-19 आपदा के दौरान लागू सम्पूर्ण लॉकडाउन में सभी ने स्वच्छ वायु को महसूस किया। वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी मानक के अनुकूल ही रहे जिसका कारण सभी औद्योगिक इकाइयों का बंद रहना, सड़कों पर डीज़ल-पेट्रोल से चलित वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहना और कूड़े-कचरे का जलना बंद रहना आदि ऐसे ही अनेक कारण रहे हैं। इस लॉकडाउन के खत्म होने और अनलॉक शुरू होने के कुछ दिन बाद ही ढील मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहर लखनऊ, वाराणसी और आगरा जैसे शहर में हवा एक बार फिर से खतरनाक हो चली है।

इस बाबत क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर का कहना है कि इस समय जहां एक ओर कोविड-19 के आंकड़ों में बढ़ोतरी हो रही है वहीं दूसरी ओर वायु प्रदूषण के आंकड़ों का “बेहद खराब” स्तर पर पहुंचाना बेहद चिंता का विषय है। पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए व्यापक एक्शन प्लान तैयार किया गया और उससे पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यनीति भी जनवरी 2019 में घोषणा हुई। यह दोनों कार्ययोजना कागजों तक सीमित है, व्यावहारिक रूप से इसका क्रियान्वयन किसी भी शहर होता नही दिख रहा है। प्रशासन और विभागों की यह लापरवाही प्रदेशवासियों के जीवन को खासा खतरे में डाल रही है।

जहरीली हवा एलर्जी, अस्थमा, कैंसर जैसे गंभीर रोगों के साथ ही यह हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी नष्ट कर सकती है। डब्लूएचओ और भारत सरकार का कहना है कोविड-19 से बचने के लिए अपने इम्यून सिस्टम का ध्यान रखना है। फिलहाल बढ़ता वायु प्रदूषण और प्रशासन की लापरवाही हमे बड़े खतरे की ओर ढकेल रही है। संस्‍था ने चेताया है कि कोरोना संक्रमण काल में वायु प्रदूषण का बढ़ना लोगों की सेहत के लिए और खतरा साबित हो सकता है।


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