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कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थि अवशेष दर्शन के लिए सारनाथ में जुटेंगे देशी-विदेशी मेहमान

कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थि अवशेष दर्शन के लिए सारनाथ में बौद्ध देशी विदेशी मेहमान का रेला लगेगा ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 05:03 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 10:08 AM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थि अवशेष दर्शन के लिए सारनाथ में जुटेंगे देशी-विदेशी मेहमान
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थि अवशेष दर्शन के लिए सारनाथ में जुटेंगे देशी-विदेशी मेहमान

वाराणसी, जेएनएन। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थि अवशेष दर्शन के लिए सारनाथ में बौद्ध देशी विदेशी मेहमान का रेला लगेगा ।इसको लेकर महबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया सहित अन्य बौद्ध मठों के लोग तैयारी मर जूट गये है । सड़कों से लेकर बौद्ध मठों तक बिजली के रंगीन झालरों व पंचशील झंडों से सजाने का काम शुरू कर दिया गया है ।

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भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में सभी बौद्ध मठों में साफ सफाई के साथ सजाने का काम शुरू हो गया हैं । कार्तिक पूर्णिमा पर चार दिनों तक विभिन्न बौद्ध देशों के विदेशियों के साथ भारतीय मेहमान की भीड़ रहेगी। महबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के सयुक्त सचिव भिक्षु के मेधानकर थेरो ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर तैयारी शुरू कर दी गयी है ।

इन देशों के पहुचेंगे मेहमान

श्रीलंका, म्यामार,बांग्लादेश, थाई, जापान, ताइवान, कम्बोडिया, लाओस,इसके अलावा देश के नागपुर, बस्ती, लखनऊ, कोलकाता, कुशीनगर, बोधगया, श्रावस्ती, गाजीपुर, चंदौली, से बड़ी संख्या में मेहमान पहुंचेंगे।

छह माह पूर्व से पेइंग गेस्ट हाउस व होटल फुल

छह माह पूर्व से ही सारनाथ पहड़िया के सभी पेइंग गेस्ट हाउस, होटल एवं बौद्ध मठों के कमरे हाउस फुल हो चुके हैं।

हीरे और मोतियों से जड़े पात्र में अस्थि अवशेष

सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में हीरे और मोतियों से जड़े पात्र में अस्थि अवशेष तहखाने में रखा गया है। अस्थि अवशेष को मूलगंध कुटी विहार के निर्माण के साथ ही तत्‍कालीन ब्रिटिश गर्वनर ने महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्‍थापक अनगारिक धर्मपाल को वर्ष 1931 में प्रदान किया था। माना जाता है कि कुशीनगर में बुद्ध के महानिर्वाण के बाद चिता की अग्नि में उनके शरीर के कई हिस्से तो जल गए थे लेकिन अस्थियां यथावत बनी रहीं। चिता शांत होने पर मल्‍लों ने अस्थियों को स्‍वर्ण कलश में रख दिया था।


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