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जौनपुर में इस अस्पताल में पहुंचते ही बदल जाती है लोगों की सोच, प्राइवेट जैसी सुविधाएं

आमतौर पर सरकारी अस्पताल अपनी कार्य प्रणाली को लेकर बदनाम हैं। संपन्न लोग यहां आने से कतराते हैं वहीं इन सबसे इतर जनपद के पूर्वी छोर पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरीबारी ऐसा अस्पताल है जहां पहुंचते ही लोगों की सोच बदल जाती है।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 05:44 PM (IST)
जौनपुर में इस अस्पताल में पहुंचते ही बदल जाती है लोगों की सोच, प्राइवेट जैसी सुविधाएं
जौनपुर के बीरीबारी, डोभी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ।

जौनपुर, जेएनएन। आमतौर पर सरकारी अस्पताल अपनी कार्य प्रणाली को लेकर बदनाम हैं। संपन्न लोग यहां आने से कतराते हैं, वहीं इन सबसे इतर जनपद के पूर्वी छोर पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरीबारी ऐसा अस्पताल है जहां पहुंचते ही लोगों की सोच बदल जाती है। सूबे के अन्य अस्पतालों की तरह संसाधन मिलने के बाद भी यहां सबकुछ बेहतर दिखता है। ओपीडी ही नहीं भर्ती मरीजों व प्रसव का भी आंकड़ा बेहतर है। कर्मचारियों व चिकित्सकों की लगन का परिणाम है कि अस्पताल को लगातार तीन साल से कायाकल्प अवार्ड से नवाजा जा रहा है।

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प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में उपचार, साफ-सफाई, स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार आदि को लेकर मरीज और तीमारदार असंतुष्ट रहते हैं। शोषण व उपचार में लापरवाही को लेकर आएदिन हंगामा होता रहता है, वहीं दूसरी तरफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डा.एसके वर्मा व बाबू मनोज कुमार सिंह के निर्देशन में स्वास्थ्य कर्मी निष्ठा पूर्वक कर्तव्य का पालन करते हुए पीडि़त के दर्द का मरहम बन गए हैं। विभाग द्वारा अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के समान यहां भी सुविधाएं हैं। बावजूद इसके यहां हर व्यवस्था चौकस है। सुरक्षा, साफ-सफाई व अन्य सुविधाओं के लिए चिकित्सक यहां क्षेत्र के लोगों से भी सहयोग लेते हैं। अस्पताल में क्षेत्र के लोगों से ईंट व आर्थिक सहयोग लेकर चहारदीवारी, फर्श का निर्माण कराया गया है। इतना ही नहीं वार्डों व ओटी में एसी की भी  सुविधा प्रदान की गई है। संसाधन व साज-सज्जा प्राइवेट अस्पतालों को मात दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी सीएचसी के स्वास्थ्य कर्मियों के कार्यों की सराहना करते हुए अन्य अस्पतालों को सीख लेने की नसीहत देते हैं।

अस्पताल में उपचार का आंकड़ा

-ओपीडी: 36000

-पुराने मरीजों का उपचार: 19578

-भर्ती मरीजों की संख्या: 717

-इमरजेंसी में देखे गए मरीज: 3152

-चिकित्सकीय परीक्षण: 916

-सुरक्षित प्रसव: 1256

-नसबंदी: 115

-बच्चों को टीकाकरण: 3973

-गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण: 3778

(यह आंकड़ा 20 अप्रैल से 30 नवंबर तक का है)


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