ओमिक्रोन वैरिएंट भारत में तीसरी और आखिरी देशव्यापी बड़ी लहर का कारक बनेगा
देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर तेजी से बढ़ रही है। राहत यही है कि ओमिक्रोन का संक्रमण बहुत घातक सिद्ध नहीं हुआ है। दुनिया के अन्य देशों से सामने आ रही तस्वीर यह बता रही है कि संभवत भारत में यह आखिरी देशव्यापी लहर होगी।
डा ज्ञानेश्वर चौबे। साल 2021 में डेल्टा वैरिएंट की मार से विश्व अभी उबर ही रहा था कि दिसंबर खत्म होते-होते ओमिक्रोन की दस्तक ने नए साल को भी चिंता में धकेल दिया। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस में नए केस का आंकड़ा रिकार्ड स्तर पर पहुंच रहा है। भारत में भी नए वैरिएंट ने तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया है। भय और अनिश्चितता की इस परिस्थिति में प्रश्न यह उठता है कि क्या 2022 में हमें इस महामारी से मुक्ति मिलेगी? इसका जवाब हमें अतीत से मिलेगा।
1918 में स्पेनिश फ्लू ने पूरे विश्व में तबाही मचाई थी और तीन लहरों के बाद 1920 में एंडेमिक यानी स्थानिक हो गया था। एक अनुमान के मुताबिक भारत में स्पेनिश फ्लू की तीन लहरों ने एक से डेढ़ करोड़ लोगों की जान ली थी। कोरोना और स्पेनिश फ्लू के प्रसार और तबाही में कुछ भिन्नताएं हैं तो कई समानताएं भी हैं। दोनों महामारी की पहली लहर हल्की थी लेकिन दूसरी व्यापक और विनाशकारी। इसी आधार पर विशेषज्ञों का अनुमान है कि ओमिक्रोन भारत में तीसरी और आखिरी देशव्यापी बड़ी लहर का कारक बनेगा।
हालांकि इस कहानी का अंत अभी तो नहीं दिखाई दे रहा। ओमिक्रोन ने विश्व में कोरोना संक्रमण को नई गति दे दी है। पूर्ववर्ती विश्वव्यापी लहरों में हफ्ते भर का औसत कभी 8.5 लाख के ऊपर नहीं पहुंचा था, जबकि ओमिक्रोन की लहर ने इसे 19 लाख के करीब पहुंचा दिया है। इस आंकड़े में वृद्धि लगातार जारी है और सप्ताह भर में इसके 25 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। विज्ञानी अभी नए वैरिएंट को समझने की कोशिश कर रहे हैं। राहत इतनी ही है कि पिछले वैरिएंट (अल्फा, बीटा, डेल्टा) की तुलना में इसका संक्रमण कम गंभीर है। अस्पताल में कम लोग भर्ती हो रहे हैं और कम मौतें हो रही हैं। इन स्थितियों को देखते हुए यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या मौजूदा लक्षणों के आधार पर कोरोना महामारी 2022 में एंडेमिक बन जाएगी?
जब वायरस एंडेमिक हो जाता है तो साल दर साल संक्रमण की संख्या कम और स्थिर होती जाती है। अगर हम कोरोना वायरस के इवोल्युशन (विकास क्रम) को समङों तो यह साफ है कि अपनी असाधारण प्रकृति के कारण यह लगातार म्यूटेट होकर नित नए वैरिएंट पैदा कर रहा है। ये नए-नए वैरिएंट हमें संक्रमित करने के लिए लगातार पाजिटिवली सेलेक्टेड (अनुकूलित) हो रहे हैं। यह जानवरों को भी संक्रमित करने में सक्षम है, जो आगे चलकर संभवत: इनके लिए रिजर्वायर का काम करेंगे। इसका मतलब भविष्य में छोटी-छोटी लहरें आ सकती हैं, नए-नए वैरिएंट भी बन सकते हैं।
इन सब बातों में एक सकारात्मक बात यह है कि टीकाकरण भी तेजी से हो रहा है। समय के साथ ज्यादातर लोग टीका लगवा चुके होंगे। साथ ही बड़ी आबादी संक्रमण से उबर चुकी होगी। इससे बड़ी आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी होगी। इससे वायरस के लिए ऐसे लोगों को खोजना मुश्किल होगा, जो संक्रमित हों और नए वैरिएंट का कारण बन सकें। ऐसा होने में अभी कुछ समय लगेगा। 2022 में कुछ समय बाद हम शायद ऐसी स्थिति में हों कि ज्यादा बेहतर तरीके से इस महामारी को प्रबंधित कर सकें। संपूर्ण टीकाकरण संक्रमण को नियंत्रित रखने में मदद करेगा और साथ ही दुरुस्त होती जा रही स्वास्थ्य व्यवस्था भविष्य की किसी भी लहर में जीवन को सामान्य रखने में मददगार साबित होगी।
[डा ज्ञानेश्वर चौबे, जीन विज्ञानी, जंतु विज्ञान विभाग, बीएचयू]