प्रदूषण पर लगेगी लगाम, बनारस में नहीं चल सकेंगे एनसीआर के आउटडेटेड वाहन
प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दस साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को सडक से हटाने का आदेश दे दिया है।
वाराणसी (जेएनएन) । दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में हवाओं में बढ़ते जहर को कम करने के लिए शीर्ष अदालत को सख्ती दिखानी पड़ी। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को थामने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़कों से हटाने का फरमान सुना दिया। परिवहन विभाग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो ऐसे वाहन दिल्ली व एनसीआर की जगह उत्तर प्रदेश का रुख कर सकते हैं। हालांकि प्रदेश में इन वाहनों को बनारस समेत पहले से प्रदूषित महानगरों में चलने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में काशी पहले ही सर्वाधिक प्रदूषित : अगर विश्व स्वास्थ्य समूह की रिपोर्ट की मानें तो नई दिल्ली व बनारस विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में हैं। ऐसे में आने वाले समय में दिल्ली के बाद शहर में ऐसे ही फरमान की जरूरत पड़ना तय है। अगर दिल्ली और बनारस के प्रदूषण स्तर की बात की जाए तो कोई खास अंतर नहीं है। नई दिल्ली का पीएम10 स्तर 387 है वहीं बनारस का पीएम10 स्तर 308 है और लखनऊ का स्तर 268 दर्ज किया गया। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पूर्व में अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में इलाहाबाद और बनारस को प्रदूषण के खतरे की चेतावनी जारी कर चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक 220 दिनों के परीक्षण एक भी दिन बनारस का प्रदूषण स्तर संतोषजनक नहीं पाया गया। धुआं उगलने वाले वाहनों में रोडवेज विभाग का भी योगदान है। जानकारी के मुताबिक शहर के सभी डिपो में करीब 10 प्रतिशत बसें 10 साल से पुरानी हैं। शहर को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए ऑटो संचालन को पूरी तरह सीएनजी स्वचालित बनाने का काम जोरों पर है। पुराने वाहनों को हटाने की नीति निर्धारण शासन स्तर पर हो सकती है। -आरपी द्विवेदी, संभागीय परिवहन अधिकारी वाराणसी परिक्षेत्र।