मौत का सामान बनकर खड़े जर्जर मकान
धर्म- संस्कृति की नगरी काशी में 226 पुराने जर्जर मकान मौत का सामान बनते नजर आ रहे हैं।
जेपी पांडेय, वाराणसी : धर्म- संस्कृति की नगरी काशी में 226 पुराने जर्जर मकान मौत का सामान बनकर खड़े हैं। इन मकानों की हालत काफी दयनीय हैं। इनके आसपास से गुजरते समय लोगों के मन में भय बना रहता है कि कहीं ये गिर न जाएं। ये जर्जर मकान हल्का सा भी झटका सहने की स्थिति में नहीं है। कई मकान तो दूसरे भवनों के सहारे खड़े हैं, पास के मकानों का सपोर्ट हटने पर जर्जर मकान भरभरा कर जमीन पर गिर पड़ेंगे। फिर भी ऐसे मकानों में लोग रह रहे हैं। इंजीनियरों द्वारा इन भवनों को जर्जर घोषित करने पर भी नगर निगम व जिला प्रशासन ने इन्हें गिराने की कोई कार्रवाई नहीं की। गलियों में नहीं जा सकतीं दो बाइक
पुराना शहर होने के कारण संकरी गलियों में रोज हजारों लोगों का आना-जाना लगा रहता है। कई गलियों की हालत तो ऐसी है कि वहां दो बाइक एकसाथ नहीं जा सकतीं हैं। गलियों में स्थित जर्जर मकानों में लोग रहते हैं, जबकि नगर निगम 100 से 150 वर्ष पुराने भवनों को जर्जर घोषित करने के साथ नोटिस भेज चुका है। गिराने में रुचि नहीं दिखा रहा निगम
नोटिस मिलने के बावजूद जर्जर भवनों में रह रहे लोग खाली नहीं कर रहे हैं। उधर, नगर निगम भी इन जर्जर भवनों को गिराने में रुचि नहीं दिखा रहा। इन भवनों के पास से गुजरने से लोग कतराते हैं। उन्हें मकान के गिरने की आशंका बनी रहती है। इसके बावजूद अफसरों को चिंता ही नहीं है। नगर निगम ने नहीं सीखा सबक
म्यूनिसिपल एक्ट के तहत नगर निगम को जर्जर मकान गिराने का पूरा अधिकार है। जनहित में जब चाहे जर्जर मकान को गिरा सकते हैं। यदि कोर्ट आदि का कोई आदेश है तो सिटी मजिस्ट्रेट से अनुमति लेकर भी गिरा सकते हैं। मगर नगर निगम कार्रवाई नहीं करता। जबकि हर वर्ष बारिश में जर्जर मकान गिरने से मौतें होती रहती है। पिछले साल भेलूपुर में जर्जर मकान गिरने से कई लोग घायल हो गए थे। वहीं दुर्गाकुंड में जर्जर मकान गिरने से मौत भी हो चुकी है। आपदा में राहत पहुंचाने की चुनौती
तंग गलियों में कई जर्जर मकान तीन से पांच मंजिला हैं, जहा पैदल या साइकिल से ही जाया जा सकता है। यदि इन मकानों में कोई हादसा हो गया तो बचाव व राहत कार्य प्रशासन के लिए चुनौती होगा। इस स्थिति में भी जिला प्रशासन व नगर निगम जर्जर मकानों की अनदेखी कर रहे हैं। कई भवनों में किराएदारों का कब्जा
कई जर्जर भवनों में किराएदारों का कब्जा है। कई सालों से इन मकानों में लोग रहते आ रहे हैं जो अब खाली करने को राजी नहीं है। कई भवन स्वामियों ने इसकी शिकायत नगर निगम में भी कर रखी है, लेकिन भवन स्वामी व किराएदार का झगड़ा मानकर नगर निगम भी इन्हें खाली कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है।