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वाराणसी पुल हादसे में सेतु निगम के अफसरों ने बरती थी घोर लापरवाही

बीम की कास्टिंग, बेयरिंग और डिजाइन तक पर सवाल खड़े किए गए हैं। विशेष तौर पर बीम को लॉक न किए जाने को समिति ने बड़ी खामी माना है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 08:47 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2018 10:51 AM (IST)
वाराणसी पुल हादसे में सेतु निगम के अफसरों ने बरती थी घोर लापरवाही
वाराणसी पुल हादसे में सेतु निगम के अफसरों ने बरती थी घोर लापरवाही

लखनऊ (जेएनएन)। वाराणसी पुल हादसे की जांच के लिए गठित तकनीकी समिति ने निर्माण में कई खामियां पाई हैं। बीम की कास्टिंग, बेयरिंग और डिजाइन तक पर सवाल खड़े किए गए हैं। विशेष तौर पर बीम को लॉक न किए जाने को समिति ने बड़ी खामी माना है। समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इसके आधार पर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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वाराणसी पुल हादसे में 15 मई को कैंट स्टेशन के बाहर निर्माणाधीन फ्लाईओवर की दो बीम गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय तकनीकी समिति का गठन किया था जिसमें पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता वाईके गुप्ता व एसके गुप्ता और सेतु निगम के संयुक्त प्रबंध निदेशक वाईके शर्मा शामिल किए गए था। समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कुमार गुप्ता और एसके गुप्ता ने मौके पर जाकर कई दिनों तक विस्तृत जांच की थी।

नियमित पर्यवेक्षण की कमी

समिति ने रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है और शासन भी चुप्पी साधे है लेकिन सूत्रों का कहना है कि पुल के पर्यवेक्षण में सेतु निगम के अफसरों की लापरवाही सामने आई है। यदि नियमित पर्यवेक्षण होता तो तकनीकी खामियों को पकड़ा जा सकता था। इसके साथ ही बीम कास्ट किए जाने के बाद उसे परस्पर न जोडऩे की लापरवाही भी उजागर हुई। बीम को पिलर पर ही कास्ट किया गया था। एक बीम का वजन साठ टन था। पुल को तीन साल से बनाया जा रहा था और इसकी डिजाइन में तीन बार बदलाव किए गए। इस पर भी अंगुलियां उठाई गई हैं।

प्रशासन से सामंजस्य की कमी

तकनीकी समिति ने पुल के नीचे से यातायात को भी गलत करार दिया है। इसमें सेतु निगम के अफसरों और प्रशासन में समन्वय की कमी साफ नजर आई है। हालांकि निगम की यह जिम्मेदारी थी कि वह यातायात प्रतिबंधित कराता। इसके लिए जितने प्रयास होने चाहिए थे, नहीं किए गए।

सीएम के निर्देश पर गठित जांच समिति दे चुकी है रिपोर्ट

गौरतलब है कि घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक टीम भेजकर 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी थी। इस टीम की रिपोर्ट पर सेतु निगम के प्रबंध निदेशक राजन मित्तल समेत सात अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया था। निलंबित अभियंताओं में मुख्य परियोजना प्रबंधक एचसी तिवारी, परियोजना प्रबंधक केआर सूद, पूर्व मुख्य परियोजना प्रबंधक गेंदा लाल, सहायक अभियंता राजेश कुमार, अवर अभियंता लालचंद व राजेश पाल शामिल है। 


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