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वाराणसी में विकास योजनाओं पर प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री के प्रयासों पर 'अफसरों का बट्टा'

केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के बाद भी जनोपयोगी नहीं होने की वजह संबंधित विभाग के जिम्मेदार अफसरों की उदासीनता व लापरवाही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 12:11 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 12:11 PM (IST)
वाराणसी में विकास योजनाओं पर प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री के प्रयासों पर 'अफसरों का बट्टा'
वाराणसी में विकास योजनाओं पर प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री के प्रयासों पर 'अफसरों का बट्टा'

वाराणसी, जेएनएन। गड़बड़ी शासन की ओर से नहीं बल्कि प्रशासन की ओर से हो रही है। केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के बाद भी जनोपयोगी नहीं होने की वजह संबंधित विभाग के जिम्मेदार अफसरों की उदासीनता व लापरवाही है। यही वजह है कि लोकार्पण व शिलान्यास के बाद भी विकास योजनाएं गति नहीं पकड़ सकीं। उपयोगी होने के लिए जनता योजनाओं का इंतजार कर ही है। 

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भवन तैयार, चिकित्सक व स्टाफ नदारद

अस्पताल केवल सुंदर भवन नहीं होता है। इसके लिए डाक्टर व कर्मचारियों के साथ ही दवाओं की भी जरूरत होती है लेकिन दुखद है कि गजोखर में बने जिस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था वहां भवन तो है लेकिन सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। यह विभागीय अफसरों की उदासीनता है या लापरवाही, विचारणीय है। बताना जरूरी है कि जनपद मुख्यालय से 45 किमी दूर गवईं क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से अस्पताल की भव्य इमारत बने दो वर्ष हो गए हैं। यहां पर आठ चिकित्सक, दो फार्मासिस्ट, आठ वार्ड ब्याय, चार स्टाफ नर्स, चार स्वीपर, दो चपरासी, दो चौकीदार, दो माली का पद सृजित है किंतु एक भी पद पर तैनाती नहीं हुई है। अस्पताल बेजान पड़ा हुआ है। कभी-कभी कुछ घंटे के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिंडरा से एक फार्मासिस्ट झोले में कुछ दवाएं लेकर पहुंचता है। 

कब पूरा होगा एथलेटिक का सिंथेटिक ट्रैक

डा. भीमराव आंबेडकर क्रीड़ा संकुल बड़ा लालपुर में एथलेटिक के सिंथेटिक ट्रैक को 30 सितंबर 2019 तक पूरा हो जाना था। खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत इसका निर्माण हो रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास 22 सितंबर 2018 को किया था। पूर्वांचल में अभी तक किसी जनपद के एथलेटिक का सिंथेटिक का एथलेटिक ट्रैक नहीं है। इस वजह से यहां के खिलाडिय़ों को अभ्यास के लिए दूसरे शहरों में जाते हैं। इसमें खर्च अधिक आता है, इस कारण यहां के निम्न आय वर्ग के बच्चे प्रतिभाशाली होते हुए भी आगे नहीं निकल पाते हैं। प्रतिभा यहां पर ऐसी हैं कि ओलंपियन मैराथन धावक रामसिंह, अर्जुन अवाडी गुलाब चंद्र और लक्ष्मण अवार्डी रमेश यादव देश-विदेश में धूम मचा चुके है। सभी एथलीटों को इंतजार है कि इस ट्रैक निर्माण कार्य पूरा होगा।

एक साल पहले डब्ल्यूटीपी का हुआ था लोकार्पण

268.36 करोड़ रुपये से तैयार हुई इस परियोजना को प्रधानमंत्री मोदी ने 19 फरवरी 2019 को लोकार्पण किया था। इससे वरुणापार क्षेत्र में जलापूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करना था। योजना के मुताबिक वरुणापार क्षेत्र के सभी 54 नलकूप को बंद कर डब्ल्यूटीपी (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) से जलापूर्ति करना था लेकिन प्रधानमंत्री के उद्घाटन करने के बाद से लगभग एक साल तक यह अभी परीक्षण के दौर से ही गुजर रही है। इस परियोजना को पूरा होने में लगभग दस साल लगे हैं। इसमें खास बात यह है कि साठ करोड़ से 228 किमी पाइप और 188.36 करोड़ से 25 ओवर हेड टैंक का निर्माण पहले हो गया। इसके कई वर्ष बाद सारनाथ में लगभग 20 करोड़ से डब्ल्यूटीपी का निर्माण हुआ। ऐसे में कई साल पहले बिछाए गए पाइप लाइन में जाम होने की समस्या के साथ लीकेज की समस्या से लोग परेशान है। स्थिति यह है कि जल निगम अपने बिछाए गए 228 किमी पाइप लाइन के साथ जलकल द्वारा उपयोग किए जा रहे 160 किमी पाइप लाइन के सहारे जलापूर्ति कर रहा है।  


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