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अब काशी में निर्माण होगा न्यूक्लियर मेडिसिन, टाटा ट्रस्ट बनाएगा साइक्लोट्रॉन सेंटर

वाराणसी में टाटा ट्रस्ट बीएचयू के संदुर बगिया मं बने महामना कैंसर सेँटर में परमाणु ऊर्जा विभाग से मिलकर साइक्लोट्रॉन सेंटर बनाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:05 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 09:05 AM (IST)
अब काशी में निर्माण होगा न्यूक्लियर मेडिसिन, टाटा ट्रस्ट बनाएगा साइक्लोट्रॉन सेंटर
अब काशी में निर्माण होगा न्यूक्लियर मेडिसिन, टाटा ट्रस्ट बनाएगा साइक्लोट्रॉन सेंटर

वाराणसी, जेएनएन। कैंसर के विभिन्न गंभीर जांच में न्यूक्लियर मेडिसिन बहुत जरूरी होता है, लेकिन यह बहुत रिस्की भी होता है। कारण कि निर्माण के बाद इसकी लाइफ महज छह घंटे ही होती है। इसके कारण इसको मुंबई या अन्य बड़े शहरों से फ्लाइट से मंगाना पड़ता है। अगर देरी हुई तो बेकार। लेकिन इस बड़ी समस्या का हल भी काशी में होगा। इसके लिए टाटा ट्रस्ट बीएचयू के सुंदर बगिया में बने महामना कैंसर सेंटर में परमाणु ऊर्जा विभाग से मिलकर साइक्लोट्रॉन सेंटर बनाएगा। डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के सचिव केएन व्यास ने बताया कि साइक्लोट्रान सेंटर रेडियो आइसोटोप्स का भी निर्माण होगा, जिसमें एफ-18 आइसोटोप प्रमुख है। इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज में जरूरी विभिन्न जांच को करने के लिए किया जाता है। प्रदेश का यह पहला साइक्लोट्रान सेंटर होगा। पेट स्कैन में भी पड़ती है जरूरत : टीएमसी, मुंबई के निदेशक डा. राजेंद्र ए बडवे ने बताया कि कैंसर रोगों की पड़ताल में कई तरह की जांच की जरूरत होती है। इसमें पेट स्कैन भी एक महत्वपूर्ण जांच है। इस जांच को करने में न्यूक्लियर मेडिसिन का इस्तेमाल किया जाता है। एफ-18 आइसोटोप भी एक तरह का न्यूक्लियर मेडिसिन है। अस्पातल शुरू हो जाने के बाद यहां पर इस आइसोटोप की बड़ी जरुरत होगी। पेट स्कैन के लिए अभी तक इसे मुंबई से मंगाना पड़ता है, जिसकी लाइफ लगभग छह घंटे ही होती है। अगर मुंबई से भी मंगाया जाए तो कम से कम तीन घंटे का समय लगता है। इसलिए महामना कैंसर सेंटर में ही साइक्लोट्रान स्थापित किया जाएगा, ताकि एफ-18 आइसोटोप का निर्माण किया जा सके। दूसरे अस्पताल भी ले सकेंगे न्यूक्लियर मेडिसिन : डा. बडवे व व्यास ने बताया कि यहां बने आइसोटोप्स को वाराणसी ही नहीं इलाहाबाद, पटना, कानपुर, गोरखपुर, आगरा, मेरठ आदि शहरों में भी भेजा जा सकेगा। साथ ही पूर्वाचल के भी अन्य अस्पताल यहां से ले सकेंगे। उनको अब मुंबई से मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मात्र 12 रुपये में पैप स्मीयर टेस्ट : बताया कि टीएमसी ने महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए एक तकनीक विकसित की है। यह तकनीक अन्य पैप स्मीयर जांच से कई गुना सस्ती है। अमेरिका में इस जांच के लिए 112 डॉलर खर्च होते हैं। टाटा हास्पिटल में इस नई तकनीक से सर्वाइकल कैंसर के स्क्रीनिंग का खर्च महज 12 रुपये में होगा। देश में टाटा के 10 अस्पताल : डा. व्यास ने बताया कि देश में 10 और जगहों पर कैंसर अस्पताल शुरू करने का काम चल रहा है। पर इन जगहों पर मानव संसाधन की कमी एक बड़ा चैलेंज है। ऐसे में पांच वर्षो तक पूरा ध्यान इन 10 अस्पतालों पर रहेगा, न कि और बढ़ाने में। हास्पिटल्स को हब और स्पोक मॉडल पर विकसित किया जा रहा है। हब मॉडल में सुविधांए अधिक होंगी वहीं स्पोक मॉडल में थोड़ी कम। वाराणसी का यह कैंसर सेंटर हब मॉडल पर तैयार किया गया है। यहां से टेलिमेडिसिन की भी सुविधा रहेगी।

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