उर्दू के बाद अब तेलुगु में भी पढ़ने को मिलेगी महाभारत, गीताप्रेस में छपाई शुरू
1955 में छह खंडों में गीताप्रेस ने हिंदी में प्रकाशित किया था महाभारत। अब दूसरी भाषा तेलुगु में सात खंडों में किया जा रहा प्रकाशन।
गोरखपुर [गजाधर द्विवेदी]। संसार के सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक ग्रंथों में शुमार महाभारत का धर्मयुद्ध अब तेलुगु भाषा में भी पढ़ा जा सकेगा। हिंदी व संस्कृत न जानने वाले तेलुगु लोगों को यह ग्रंथ सामाजिक आचार संहिता का पाठ पढ़ाएगा। गीताप्रेस में इसकी छपाई शुरू हो चुकी है। इस लोक मान्यता व अंधविश्वास को गीताप्रेस ने तोड़ने की कोशिश की है कि महाभारत ग्रंथ घर में नहीं रखना चाहिए, इससे लड़ाई-झगड़े व कलह का जन्म होता है। 1955 में गीताप्रेस ने महाभारत को हिंदी संस्करण छह खंडों में प्रकाशित किया।
प्रथम खंड के 17 संस्करण, द्वितीय खंड के 15, तृतीय खंड के 14, चतुर्थ, पंचम व षष्ठम् खंड के 15-15 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी अभी तक चार लाख 75 हजार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिंदी संस्करण के सभी खंडों की पुन: प्रकाशन की तैयारी है।
महाभारत का तेलुगु में अनुवाद बहुत पहले पूरा हो गया था। यह गीताप्रेस में रखा था, जिसका अब प्रकाशन शुरू किया गया है। महाभारत का तेलुगु में सात खंडों में अनुवाद हुआ है। प्रत्येक खंड की दो-दो हजार पुस्तकें प्रकाशित की जाएंगी यानि कुल 14 हजार पुस्तकें प्रकाशित होंगी। अभी प्रथम खंड का प्रकाशन शुरू हुआ है।
आगामी अगस्त तक सभी खंडों के प्रकाशन का लक्ष्य रखा गया है। प्रत्येक खंड की कीमत चार सौ रुपये है, सभी खंडों को मिलाकर कुल 2800 रुपये कीमत है। प्रथम खंड 1072 पेज, द्वितीय खंड 960 पेज, तीसरा खंड 832 पेज, चौथा खंड 1168 पेज, पांचवां खंड 800 पेज, छठां खंड 1184 पेज व सातवां खंड 1232 पेज का है। पुस्तक की लंबाई 10.5 इंच व चौड़ाई 7.5 इंच है।
तेलुगु महाभारत में संस्कृत के श्लोकों का तेलुगु में लिप्यांतरण किया गया है, अर्थात श्लोक संस्कृत के हैं, लेकिन उनकी लिपि तेलुगु है। श्लोकों के नीचे तेलुगु भाषा में संस्कृत श्लोकों का अर्थ (टीका) लिखा गया है। सभी खंडों की पुस्तकों में आठ-आठ चित्र प्रसंग के अनुकूल दिए गए हैं।
गीताप्रेस कुल 15 भाषाओं में धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन करता है। महाभारत बड़ा ग्रंथ है, इसलिए इसका अनुवाद अभी तक सिर्फ तेलुगु में ही हो पाया है। इसमें भी लंबा समय लगा। अगस्त तक छपाई पूरी कर लेने की योजना है। इसके प्रकाशन से जो लोग सिर्फ तेलुगु ही जानते हैं, वे पढ़ व समझ सकेंगे।
-लालमणि तिवारी, उत्पाद प्रबंधक, गीताप्रेस
लखनऊ के एक घर में है 300 साल पुरानी उर्दू में लिखी महाभारत
पुराने शहर की कर्बला कॉलोनी में रहने वाले एक परिवार को अंदाजा भी नहीं था कि उनके पास मौजूद पीढ़ियों पुरानी एक किताब इतनी खास और कीमती हो सकती है। यह किताब उर्दू में लिखी 300 साल पुरानी महाभारत है, जो फरमान को एक लाइब्रेरी में मिली। उनके परदादा हवाली हुसैन नसीरबदी ने पुश्तैनी गांव राय बरेली में लाइब्रेरी शुरू की थी।
दरअसल, फरमान पुस्तकालय को खंगाल रहे थे, इसी दौरान महाभारत की किताब उनके हाथ लगी। उर्दू में लिखी महाभारत के हर अध्याय से पहले अरबी और फारसी भाषा में प्रस्तावना लिखी गई थी। इसमें उस अध्याय का परिचय अरबी लिपि में दिया गया था।